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"ज़हन में बल्लम / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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शिला सीने पर धरी है
 
शिला सीने पर धरी है
                  घुट रहा है दम
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            घुट रहा है दम
 
क्या इसी दिन के लिए
 
क्या इसी दिन के लिए
                  पैदा हुए थे हम
+
            पैदा हुए थे हम
  
 
पसलियों के चटखने को
 
पसलियों के चटखने को
                    व्यर्थ जाने दूँ
+
                व्यर्थ जाने दूँ
 
डबडबाई आँख
 
डबडबाई आँख
            बाहर निकल आने दूँ
+
        बाहर निकल आने दूँ
  
गड़ रहा है ज़हन में बल्लम
+
गड़ रहा है हन में बल्लम
  
 
बेरहम ठोकर समय की
 
बेरहम ठोकर समय की
                    बेशरम ग़ाली
+
              बेशरम ग़ाली
 
किस तरह इनकी चुकाऊँ
 
किस तरह इनकी चुकाऊँ
                    ब्याज पंचाली
+
              ब्याज पंचाली
  
 
खोपड़ी में फट रहे हैं बम
 
खोपड़ी में फट रहे हैं बम
 
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13:26, 12 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

शिला सीने पर धरी है
            घुट रहा है दम
क्या इसी दिन के लिए
             पैदा हुए थे हम

पसलियों के चटखने को
                व्यर्थ जाने दूँ
डबडबाई आँख
        बाहर निकल आने दूँ

गड़ रहा है हन में बल्लम

बेरहम ठोकर समय की
               बेशरम ग़ाली
किस तरह इनकी चुकाऊँ
              ब्याज पंचाली

खोपड़ी में फट रहे हैं बम