भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुमने क्या नहीं देखा / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह |संग्रह=वंशी और मादल/ ठाकुरप्रसाद सि...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह
 
|रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह
|संग्रह=वंशी और मादल/ ठाकुरप्रसाद सिंह
+
|संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद सिंह
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatNavgeet}}
 +
<poem>
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
 
आग-सी झलकती में
 
आग-सी झलकती में
 
  
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
 
बाढ़-सी उमड़ती में
 
बाढ़-सी उमड़ती में
 
  
 
नहीं, मुझे पहचाना
 
नहीं, मुझे पहचाना
 
+
धूल भरी आँधी में
धूल भरी आंधी में
+
 
+
  
 
जानोगे तब जब
 
जानोगे तब जब
 
+
कुहरे-सी घिर जाऊँगी
कुहरे-सी घिर जाऊंगी
+
 
+
  
 
मैं क्या हूँ मौसम
 
मैं क्या हूँ मौसम
 
+
जो बार-बार आऊँगी !
जो बार-बार आऊंगी !
+
</poem>

00:21, 20 मार्च 2011 के समय का अवतरण

तुमने क्या नहीं देखा
आग-सी झलकती में

तुमने क्या नहीं देखा
बाढ़-सी उमड़ती में

नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आँधी में

जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊँगी

मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊँगी !