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"ख़ामोशी में गुम / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर
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जाने क्यों मुझ को | जाने क्यों मुझ को | ||
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गुम है जो ख़ुद | गुम है जो ख़ुद | ||
ख़ामोशी में अपनी | ख़ामोशी में अपनी | ||
− | + | क्यों सहन नहीं हो पाया | |
मैं ख़ामोश | मैं ख़ामोश | ||
ख़ामोशी को उस की | ख़ामोशी को उस की |
13:24, 23 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
जाने क्यों मुझ को
शब्द करना चाहता था वह
गुम है जो ख़ुद
ख़ामोशी में अपनी
क्यों सहन नहीं हो पाया
मैं ख़ामोश
ख़ामोशी को उस की
अब शब्द हो कर
भटक रहा हूँ मैं
हर बस्ती हर जंगल
पुकारता हुआ
ख़ामोशी को अपनी
वह भी क्या बेकल है
पुकार के लिए
किसी की ख़ामोशी में
गुम ?
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15 अप्रैल 2010