अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह |संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद स...) |
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नदी किनारे | नदी किनारे | ||
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बैठ रेत पर | बैठ रेत पर | ||
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होगे बजा रहे | होगे बजा रहे | ||
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वंशी | वंशी | ||
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तुम मेरे प्रिय साँवले | तुम मेरे प्रिय साँवले | ||
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एक हाथ से दिया बारूँ | एक हाथ से दिया बारूँ | ||
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एक हाथ से आँखें पोंछूँ | एक हाथ से आँखें पोंछूँ | ||
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सोचूँ | सोचूँ | ||
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मुझसे भी होंगे क्या | मुझसे भी होंगे क्या | ||
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बिरह ताप के जले | बिरह ताप के जले | ||
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00:20, 20 मार्च 2011 के समय का अवतरण
नदी किनारे
बैठ रेत पर
घने कदम्ब के तले
होगे बजा रहे
वंशी
तुम मेरे प्रिय साँवले
एक हाथ से दिया बारूँ
एक हाथ से आँखें पोंछूँ
सोचूँ
मुझसे भी होंगे क्या
बिरह ताप के जले