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फटे बांस में  
 
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पैर अड़ा कर
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चलता था उसका खाता  
 
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उसे सताए  
 
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किससे कितना  
 
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बाहुबली था  
 
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राजनीति में-
 
राजनीति में-
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बना सरगना  
 
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आया जल्दी  
 
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माटी उसका था खाता
 
माटी उसका था खाता
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20:57, 18 मार्च 2012 के समय का अवतरण

फटे बांस में
पैर अड़ा कर
चलता था उसका खाता

भार बना
धरती का घूमे
जैसे कोई था हथियार
इसे डराए
उसे सताए
बनता सबका तारनहार

किससे कितना
लाभ कमाना
उसका इतना था नाता

हुक्का-पानी
बंद उसी का
जिसने भी ना मानी बात
करे फ़जीहत
मग में उसकी
दिखा-दिखा अपनी औकात

घड़ा पाप का
भरा हुआ था
फिर क्यों, किसको वह भाता

बाहुबली था
राजनीति में-
पाँव जमाकर छोड़ी छाप
बना सरगना
अपने दल का
वैर बढ़ाकर अपने आप

राम नाम सत
आया जल्दी
माटी उसका था खाता