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"वह परवाज़ / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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− | धूप सुनहरी | + | धूप सुनहरी, माँग रहा है |
− | माँग रहा है | + | रामभरोसे आज |
− | रामभरोसे आज | + | |
− | नदी चढ़ी है | + | नदी चढ़ी है |
− | सागर गहरा | + | सागर गहरा |
− | पार उसे ही करना | + | पार उसे ही करना |
− | सोच रहा वह | + | सोच रहा वह |
− | नैया छोटी | + | नैया छोटी |
और धार पर तिरना | और धार पर तिरना | ||
− | छोटे-छोटे | + | छोटे-छोटे चप्पू मेरे |
− | चप्पू मेरे | + | साहस-धीरज-लाज |
− | साहस-धीरज-लाज | + | |
− | खून-पसीना | + | खून-पसीना |
बो-बोकर वह | बो-बोकर वह | ||
− | फसलें नई उगाए | + | फसलें नई उगाए |
− | तोता-मैना की बातों से | + | तोता-मैना की |
− | उसका मन | + | बातों से |
− | घबराए | + | उसका मन घबराए |
− | चिड़ियाँ चहकें | + | चिड़ियाँ चहकें डाल-डाल पर |
− | डाल-डाल पर | + | करें पेड़ पर राज |
− | करें पेड़ पर राज | + | |
− | + | घड़ियालों का | |
− | अपना घर है | + | अपना घर है |
− | उनको भी तो जीना | + | उनको भी तो जीना |
− | पानी तो है | + | पानी तो है |
− | + | सबका जीवन | |
− | जल की मीन- नगीना | + | जल की मीन-नगीना |
− | पंख सभी के | + | पंख सभी के छुएँ शिखर को |
− | छुएँ शिखर को | + | प्रभु दे, वह परवाज़ |
− | प्रभु दे, वह परवाज़ | + | |
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13:53, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
धूप सुनहरी, माँग रहा है
रामभरोसे आज
नदी चढ़ी है
सागर गहरा
पार उसे ही करना
सोच रहा वह
नैया छोटी
और धार पर तिरना
छोटे-छोटे चप्पू मेरे
साहस-धीरज-लाज
खून-पसीना
बो-बोकर वह
फसलें नई उगाए
तोता-मैना की
बातों से
उसका मन घबराए
चिड़ियाँ चहकें डाल-डाल पर
करें पेड़ पर राज
घड़ियालों का
अपना घर है
उनको भी तो जीना
पानी तो है
सबका जीवन
जल की मीन-नगीना
पंख सभी के छुएँ शिखर को
प्रभु दे, वह परवाज़