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"चुप बैठा धुनिया / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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सोच रहा  
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चुप बैठा धुनिया  
 
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भीड़-भाड़ वह
 
भीड़-भाड़ वह
चहल-पहल वह
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चहल पहल वह
बंद द्वार का  
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बन्द द्वार का
एक महल वह  
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एक महल वह
  
ढोल मढ़ी-सी  
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ढोल मढ़ी-सी
लगती दुनिया  
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लगती दुनिया
  
मेहनत के मुंह
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मेहनत के मुँह
बंधा मुसीका  
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बँध मुसीका
घुटता जाता  
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घुटता जाता
गला खुशी का  
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गला खुशी का
  
ताड़ रहा है  
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ताड़ रहा है
सब कुछ गुनिया  
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सब कुछ गुनिया
  
फैला भीतर तक
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फैला भीतर
सन्नाटा  
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तक सन्नाटा
अंधियारों ने  
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अंधियारों ने
सब कुछ पाटा
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सब कुछ पाटा
  
कहाँ -कहाँ से  
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कहाँ-कहाँ से
 
टूटी पुनिया
 
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14:06, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

सोच रहा
चुप बैठा धुनिया

भीड़-भाड़ वह
चहल पहल वह
बन्द द्वार का
एक महल वह

ढोल मढ़ी-सी
लगती दुनिया

मेहनत के मुँह
बँध मुसीका
घुटता जाता
गला खुशी का

ताड़ रहा है
सब कुछ गुनिया

फैला भीतर
तक सन्नाटा
अंधियारों ने
सब कुछ पाटा

कहाँ-कहाँ से
टूटी पुनिया