भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाइकु-1 / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सुधा गुप्ता |संग्रह= }} Category:हाइकु ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 30: | पंक्ति 30: | ||
भूला होशो -हवास | भूला होशो -हवास | ||
अमलतास । | अमलतास । | ||
+ | </poem> |
02:46, 18 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण
1
आकाश बोला-
‘कोई एक बादल
गोद तो भरे ।’
2
मिट्टी का घड़ा
बूँद-बूँद रिसता
लो खाली हुआ ।
3
चाँदनी- पेड़
सफ़ेद फूलों-भरा
जगमगाए ।
4
हाँफ़ रही है
निढ़ाल दोपहरी
पेड़ों के तले ।
5
भाग्य की बात
दो पैसे की टिकुली
जा चढ़ी माथ ।
6
फूलों से लदा
भूला होशो -हवास
अमलतास ।