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यादें-2 / सुधा गुप्ता

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भोला शैशव ।
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रात ढूँढ़तीढूँढती
चाँद में बैठी नानी
काते थी चर्खा
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बरसों बाद
घघरूघुंघरू-सी छनकी
तुम्हारी याद ।
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