भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गंदी तस्वीर / कंस्तांतिन कवाफ़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कंस्तांतिन कवाफ़ी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
पुलिस की निगाह से छिपाकर बेची जा रही थी जो | पुलिस की निगाह से छिपाकर बेची जा रही थी जो | ||
बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै | बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै | ||
− | आई कहाँ से हसीना, कितनी दिलकश दिख रही | + | आई कहाँ से हसीना, कितनी दिलकश दिख रही है वो |
कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया | कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
तेरी सुन्दरता, तेरी उज्ज्वलता, करते मेरे मन की फेरी | तेरी सुन्दरता, तेरी उज्ज्वलता, करते मेरे मन की फेरी | ||
याद तुझे कर-कर हरजाई, सुख पाता हूँ मैं यूनानी | याद तुझे कर-कर हरजाई, सुख पाता हूँ मैं यूनानी | ||
− | पता नहीं कैसे बोलेगी, | + | पता नहीं कैसे बोलेगी, तुझसे मेरी कविता दीवानी |
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय''' | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय''' | ||
</poem> | </poem> |
12:57, 20 जून 2012 के समय का अवतरण
वहाँ सड़क पर पड़ी हुई, उस बेहद गंदी तस्वीर में
पुलिस की निगाह से छिपाकर बेची जा रही थी जो
बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै
आई कहाँ से हसीना, कितनी दिलकश दिख रही है वो
कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया
कितना मुश्किल, कितना गंदा, गरल कैसा तुमने पिया
किस हालत में, क्योंकर तुमने, यह गंदी तस्वीर खिंचाई
इतने ख़ूबसूरत तन में क्योंकर वह घटिया रूह समाई
लेकिन इतना होने पर भी स्वप्न-सुन्दरी तू बन गई मेरी
तेरी सुन्दरता, तेरी उज्ज्वलता, करते मेरे मन की फेरी
याद तुझे कर-कर हरजाई, सुख पाता हूँ मैं यूनानी
पता नहीं कैसे बोलेगी, तुझसे मेरी कविता दीवानी
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय