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"गंदी तस्वीर / कंस्तांतिन कवाफ़ी" के अवतरणों में अंतर

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पुलिस की निगाह से छिपाकर बेची जा रही थी जो  
 
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बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै
 
बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै
आई कहाँ से हसीना, कितनी दिलकश दिख रही थी वो   
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कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया
 
कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया
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तेरी सुन्दरता, तेरी उज्ज्वलता, करते मेरे मन की फेरी
 
तेरी सुन्दरता, तेरी उज्ज्वलता, करते मेरे मन की फेरी
 
याद तुझे कर-कर हरजाई, सुख पाता हूँ मैं यूनानी
 
याद तुझे कर-कर हरजाई, सुख पाता हूँ मैं यूनानी
पता नहीं कैसे बोलेगी, तुझ पर मेरी कविता दीवानी
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'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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12:57, 20 जून 2012 के समय का अवतरण

वहाँ सड़क पर पड़ी हुई, उस बेहद गंदी तस्वीर में
पुलिस की निगाह से छिपाकर बेची जा रही थी जो
बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै
आई कहाँ से हसीना, कितनी दिलकश दिख रही है वो

कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया
कितना मुश्किल, कितना गंदा, गरल कैसा तुमने पिया
किस हालत में, क्योंकर तुमने, यह गंदी तस्वीर खिंचाई
इतने ख़ूबसूरत तन में क्योंकर वह घटिया रूह समाई

लेकिन इतना होने पर भी स्वप्न-सुन्दरी तू बन गई मेरी
तेरी सुन्दरता, तेरी उज्ज्वलता, करते मेरे मन की फेरी
याद तुझे कर-कर हरजाई, सुख पाता हूँ मैं यूनानी
पता नहीं कैसे बोलेगी, तुझसे मेरी कविता दीवानी

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय