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"भारत संतान / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'" के अवतरणों में अंतर

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        किसी को नहीं बनाया दास,
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    किसी को नहीं बनाया दास,
         किसी का किया नहीं उपहास ।
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         किसी का किया नहीं उपहास।
 
         किसी का छीना नहीं निवास,
 
         किसी का छीना नहीं निवास,
         किसी को दिया नहीं है त्रास ।
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         किसी को दिया नहीं है त्रास।
 
         किया है दुखित जननों का त्राण,
 
         किया है दुखित जननों का त्राण,
         हाथ में लेकर कठन कृपाण ।।
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         हाथ में लेकर कठन कृपाण॥
वही हम हैं भारत संतान—वही हम हैं भारत संतान ।।
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वही हम हैं भारत संतान—वही हम हैं भारत संतान॥
  
 
         हमारे जन्मसिद्ध अधिकार,
 
         हमारे जन्मसिद्ध अधिकार,
         अगर छीनेगा कोई यार ।
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         अगर छीनेगा कोई यार।
 
         रहेंगे कब तक मन को मार,
 
         रहेंगे कब तक मन को मार,
         सहेंगे कब तक अत्याचार ।।
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         सहेंगे कब तक अत्याचार॥
 
         कभी तो आवेगा यह ध्यान,
 
         कभी तो आवेगा यह ध्यान,
         सकल मनुजों के स्वत्व समान ।।  
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         सकल मनुजों के स्वत्व समान॥  
वही हम हैं भारत संतान—वही हम हैं भारत संतान ।।                      
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वही हम हैं भारत संतान—वही हम हैं भारत संतान॥                      
 
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16:51, 4 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

    किसी को नहीं बनाया दास,
        किसी का किया नहीं उपहास।
        किसी का छीना नहीं निवास,
        किसी को दिया नहीं है त्रास।
        किया है दुखित जननों का त्राण,
        हाथ में लेकर कठन कृपाण॥
वही हम हैं भारत संतान—वही हम हैं भारत संतान॥

        हमारे जन्मसिद्ध अधिकार,
        अगर छीनेगा कोई यार।
        रहेंगे कब तक मन को मार,
        सहेंगे कब तक अत्याचार॥
        कभी तो आवेगा यह ध्यान,
        सकल मनुजों के स्वत्व समान॥
वही हम हैं भारत संतान—वही हम हैं भारत संतान॥