भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हर तरफ धुआं है / धूमिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है- | अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है- | ||
− | तटस्थता। | + | तटस्थता। |
− | + | यहांकायरता के चेहरे पर | |
सबसे ज्यादा रक्त है। | सबसे ज्यादा रक्त है। | ||
जिसके पास थाली है | जिसके पास थाली है |
02:25, 15 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
हर तरफ धुआं है
हर तरफ कुहासा है
जो दांतों और दलदलों का दलाल है
वही देशभक्त है
अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है-
तटस्थता।
यहांकायरता के चेहरे पर
सबसे ज्यादा रक्त है।
जिसके पास थाली है
हर भूखा आदमी
उसके लिए, सबसे भद्दी
गाली है
हर तरफ कुआं है
हर तरफ खाईं है
यहां, सिर्फ, वह आदमी, देश के करीब है
जो या तो मूर्ख है
या फिर गरीब है