('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत | }} {{KKCatRajasthan}} <poem> सा...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत | |रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत | ||
− | |||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
साँस रै सारै | साँस रै सारै | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै | कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै | ||
मिनख काठ सो बणग्यो | | मिनख काठ सो बणग्यो | | ||
− | |||
<poem> | <poem> |
20:44, 29 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
साँस रै सारै
मौत री काया
टूट'र बिखरगी
धरती सूं चिप्योड़ा पगां में
नफ़रत री गंध
धिमै-धिमै सलारगी
अणछक कांधां रै ऊपर
अतीत रो बोझ
नसां नै तोड़ण लाग्यो
समंधां री छीयाँ
भूत री दांई साम्है खड़ी होगी
झोळ चढ्या सबद
कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै
मिनख काठ सो बणग्यो |