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कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै  
 
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मिनख काठ सो बणग्यो |
 
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20:44, 29 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

साँस रै सारै
मौत री काया
टूट'र बिखरगी

धरती सूं चिप्योड़ा पगां में
नफ़रत री गंध
धिमै-धिमै सलारगी

अणछक कांधां रै ऊपर
अतीत रो बोझ
नसां नै तोड़ण लाग्यो
समंधां री छीयाँ
भूत री दांई साम्है खड़ी होगी

झोळ चढ्या सबद
कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै
मिनख काठ सो बणग्यो |