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"दाना / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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वह स्त्री फँटक रही है गेहूँ
 
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दोनों हाथ सूप को उठाते-गिराते
 
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हथेलियों की थाप-थाप्प
 
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और अन्न की झनकार
 
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स्तनों का उठना-गिरना लगातार--
 
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घुटनों तक साड़ी समेटे वह स्त्री
 
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जो ख़ुद एक दाना है गेहूँ का--
 
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धूर उड़ रही है केश उड़ रहे हैं
 
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यह धूप यह हवा यह ठहरा आसमान
 
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बस एक सुख है बस एक शान्ति
 
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बस एक थाप एक झनकार ।
 
बस एक थाप एक झनकार ।
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13:21, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

वह स्त्री फँटक रही है गेहूँ
दोनों हाथ सूप को उठाते-गिराते
हथेलियों की थाप-थाप्प
और अन्न की झनकार
स्तनों का उठना-गिरना लगातार--
घुटनों तक साड़ी समेटे वह स्त्री
जो ख़ुद एक दाना है गेहूँ का--
धूर उड़ रही है केश उड़ रहे हैं
यह धूप यह हवा यह ठहरा आसमान
बस एक सुख है बस एक शान्ति
बस एक थाप एक झनकार ।