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"सपने / बद्रीनारायण" के अवतरणों में अंतर
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मुझे मेरे सपनों से बचाओ | मुझे मेरे सपनों से बचाओ | ||
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न जाने किसने डाल दिए ये सपने मेरे भीतर | न जाने किसने डाल दिए ये सपने मेरे भीतर | ||
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ये मुझे भीतर ही भीतर कुतरते जाते हैं | ये मुझे भीतर ही भीतर कुतरते जाते हैं | ||
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ये धीरे-धीरे ध्वस्त करते जाते हैं मेरा व्यक्तित्व | ये धीरे-धीरे ध्वस्त करते जाते हैं मेरा व्यक्तित्व | ||
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ये मेरी आदमीयत को परास्त करते जाते हैं | ये मेरी आदमीयत को परास्त करते जाते हैं | ||
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ये मुझे डाल देते हैं भोग के उफनते पारावार में | ये मुझे डाल देते हैं भोग के उफनते पारावार में | ||
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जो निकलना भी चाहूँ तो ये ढकेल देते हैं | जो निकलना भी चाहूँ तो ये ढकेल देते हैं | ||
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ये मेरी अच्छाइयों को मारते जाते हैं मेरे भीतर | ये मेरी अच्छाइयों को मारते जाते हैं मेरे भीतर | ||
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ये मेरी संवेदना, मेरी मार्मिकता, मेरे पहले को हतते जाते हैं | ये मेरी संवेदना, मेरी मार्मिकता, मेरे पहले को हतते जाते हैं | ||
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ये मुझे ठेलते जाते हैं एक विशाल नर्क में | ये मुझे ठेलते जाते हैं एक विशाल नर्क में | ||
मैं चीख़ता हूँ ज़ोर से | मैं चीख़ता हूँ ज़ोर से | ||
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आधी रात | आधी रात | ||
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21:39, 17 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
मुझे मेरे सपनों से बचाओ
न जाने किसने डाल दिए ये सपने मेरे भीतर
ये मुझे भीतर ही भीतर कुतरते जाते हैं
ये धीरे-धीरे ध्वस्त करते जाते हैं मेरा व्यक्तित्व
ये मेरी आदमीयत को परास्त करते जाते हैं
ये मुझे डाल देते हैं भोग के उफनते पारावार में
जो निकलना भी चाहूँ तो ये ढकेल देते हैं
ये मेरी अच्छाइयों को मारते जाते हैं मेरे भीतर
ये मेरी संवेदना, मेरी मार्मिकता, मेरे पहले को हतते जाते हैं
ये मुझे ठेलते जाते हैं एक विशाल नर्क में
मैं चीख़ता हूँ ज़ोर से
आधी रात