भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पंथ में सांझ / नामवर सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
दीठ निवारना । | दीठ निवारना । | ||
− | याद है : | + | याद है : चूड़ी की टूक से चाँद पै |
तैरती आँख में आँख का ढारना ? | तैरती आँख में आँख का ढारना ? | ||
</poem> | </poem> |
13:53, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
पथ में साँझ
पहाड़ियाँ ऊपर
पीछे अँके झरने का पुकारना ।
सीकरों की मेहराब की छाँव में
छूटे हुए कुछ का ठुनकारना ।
एक ही धार में डूबते
दो मनों का टकराकर
दीठ निवारना ।
याद है : चूड़ी की टूक से चाँद पै
तैरती आँख में आँख का ढारना ?