भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"विघण हरण गणराज है / निमाड़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }} विघण हरण गणराज है, शं...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
+ | {{KKLokRachna | ||
+ | |रचनाकार=अज्ञात | ||
+ | }} | ||
{{KKLokGeetBhaashaSoochi | {{KKLokGeetBhaashaSoochi | ||
|भाषा=निमाड़ी | |भाषा=निमाड़ी | ||
}} | }} | ||
+ | <poem> | ||
विघण हरण गणराज है, | विघण हरण गणराज है, | ||
− | + | शंकर सुत देवाँ | |
− | + | कोट विघन टल जाएगाँ, | |
− | + | हारे गणपति गुण गायाँ.. | |
− | + | विघण हरण... | |
− | + | शीव की गादी सुनरियाँ, | |
− | + | ब्रम्हा ने बणायाँ | |
− | + | हरि हिरदें में तुम लावियाँ, | |
− | + | सरस्वति गुण गायाँ... | |
− | + | विघण हरण... | |
− | + | संकट मोचन घर दयाल है, | |
− | + | खुद करु रे बँड़ाई | |
− | + | नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है | |
− | + | गुण शब्द की दाँसी... | |
− | + | विघण हरण... | |
− | + | गण सुमरे कारज करे, | |
− | + | लावे लखं आऊ माथ | |
− | + | भक्ति मन आरज करे, | |
− | + | राखो शब्द की लाज... | |
− | + | विघण हरण... | |
− | + | रीधी सीधी रे गुरु संगम, | |
− | + | चरणो की दासी | |
− | + | चार मुल जिनके पास में, | |
− | + | हारे राखो चरण आधार... | |
− | + | विघण हरण... |
17:37, 18 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
विघण हरण गणराज है,
शंकर सुत देवाँ
कोट विघन टल जाएगाँ,
हारे गणपति गुण गायाँ..
विघण हरण...
शीव की गादी सुनरियाँ,
ब्रम्हा ने बणायाँ
हरि हिरदें में तुम लावियाँ,
सरस्वति गुण गायाँ...
विघण हरण...
संकट मोचन घर दयाल है,
खुद करु रे बँड़ाई
नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है
गुण शब्द की दाँसी...
विघण हरण...
गण सुमरे कारज करे,
लावे लखं आऊ माथ
भक्ति मन आरज करे,
राखो शब्द की लाज...
विघण हरण...
रीधी सीधी रे गुरु संगम,
चरणो की दासी
चार मुल जिनके पास में,
हारे राखो चरण आधार...
विघण हरण...