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|रचनाकार=पवन कुमार|संग्रह=वाबस्ता / पवन कुमार
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कहीं पर ख़ुश्बूएँ बिखरीं, कहीं तरतीब उजालों की
बड़ी पुरकैफ़ हैं राहें तेरे ख़्वाबों ख़यालों की
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