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"मंगल गान / भुवनेश्वर सिंह 'भुवन'" के अवतरणों में अंतर

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अखिल भव नव भावमय हो,
 
अखिल भव नव भावमय हो,
कंठमे जड़ चेतनक नव प्रगतिमय सुर-ताल-लय हो
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नरक इंगित पर विवश कुंठित निरन्तर काल नाचए,
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कंठमे जड़ चेतनक नव प्रगतिमय सुर-ताल-लय हो।
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नरक इंगितपर विवश कुंठित निरन्तर काल नाचए,
 
मोह विपतिक भंग हो, ओ स्वयं निज विधि लेख बाचए,
 
मोह विपतिक भंग हो, ओ स्वयं निज विधि लेख बाचए,
अमरता राजए ‘भुवन’मे भय-प्रकंपित मरण-भय हो।
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अमरता राजए ‘भुवन’ मे भय-प्रकपित मरण-भय हो।
अखिल भव नव भावमय हो
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अखिल भव नव भावमय हो॥
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बहए मलयानिल निरन्तर, रहए सजला मेघमाला,
 
बहए मलयानिल निरन्तर, रहए सजला मेघमाला,
 
पड़ए पाला नहि विनाशक, जरए दुखद निदाघ ज्वाला,
 
पड़ए पाला नहि विनाशक, जरए दुखद निदाघ ज्वाला,
 
आधि, व्याधि, उपाधि, जड़ता क्षय करए नहि, स्वयं क्षय हो।
 
आधि, व्याधि, उपाधि, जड़ता क्षय करए नहि, स्वयं क्षय हो।
अखिल भव नव भावमय हो
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अखिल भव नव भावमय हो॥
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हो प्रलय झंझाक वारण, रहए कुसुमित कुसुम-कानन,
 
हो प्रलय झंझाक वारण, रहए कुसुमित कुसुम-कानन,
 
भालपर हो यशक चानन, दिव्य दीप्ति-प्रदीप्त आनन,
 
भालपर हो यशक चानन, दिव्य दीप्ति-प्रदीप्त आनन,
 
मचए मंगलमोद घर घर, मन सभक आनन्दमय हो।
 
मचए मंगलमोद घर घर, मन सभक आनन्दमय हो।
अखिल भव नव भामवमय हो
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अखिल नव भव भावमय हो॥
  
 
मान पाबथि सतत मानी, बनथि युगक प्रतीक ज्ञानी,
 
मान पाबथि सतत मानी, बनथि युगक प्रतीक ज्ञानी,
 
प्राणमय हो राष्ट्रवाणी, राष्ट्रहित कटिबद्ध प्राणी,
 
प्राणमय हो राष्ट्रवाणी, राष्ट्रहित कटिबद्ध प्राणी,
संग मिथिला, मैथिली मैथिलक अभ्युदय, जय हो
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संग मिथिला, मैथिली मैथिलक अभ्युदय, जय हो।
अखिल भव नव भावमय हो।।
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18:12, 19 अगस्त 2015 के समय का अवतरण

अखिल भव नव भावमय हो,

कंठमे जड़ चेतनक नव प्रगतिमय सुर-ताल-लय हो।
नरक इंगितपर विवश कुंठित निरन्तर काल नाचए,
मोह विपतिक भंग हो, ओ स्वयं निज विधि लेख बाचए,
अमरता राजए ‘भुवन’ मे भय-प्रकपित मरण-भय हो।

अखिल भव नव भावमय हो॥

बहए मलयानिल निरन्तर, रहए सजला मेघमाला,
पड़ए पाला नहि विनाशक, जरए दुखद निदाघ ज्वाला,
आधि, व्याधि, उपाधि, जड़ता क्षय करए नहि, स्वयं क्षय हो।

अखिल भव नव भावमय हो॥

हो प्रलय झंझाक वारण, रहए कुसुमित कुसुम-कानन,
भालपर हो यशक चानन, दिव्य दीप्ति-प्रदीप्त आनन,
मचए मंगलमोद घर घर, मन सभक आनन्दमय हो।

अखिल नव भव भावमय हो॥

मान पाबथि सतत मानी, बनथि युगक प्रतीक ज्ञानी,
प्राणमय हो राष्ट्रवाणी, राष्ट्रहित कटिबद्ध प्राणी,
संग मिथिला, मैथिली ओ मैथिलक अभ्युदय, जय हो।