{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>
मुनिक शान्तिमय-पर्ण कुटीमे,तापसीक अचपल भृकुटीमे,साम श्रवणरत श्रुतिक पुटीमे,
छन अहाँक आवास।
बिसरि गेल छी से हम,किन्तु न झाँपल अछि इतिहास।।इतिहास यज्ञ धूम संकुचित नयनमे,कामधेउनु -ख़ुर खनित अयन मेंमुनिक कन्याक प्रसून चयन मेंचल आहांक आमोदस्मरणों जाकर करॆए अछि छन भरि,सभ शोकक अपनोद। शारदा -यति जयलापमेविद्यापति -कविता -कलापमेन्यायदेव नृप-पतिक प्रतापमेदेखिय तोर महत्वजाहि सं आनो कहेइच जे अछिमिथिलामे किछु तत्व। कीर दम्पतिक तत्वादमेलखिमा कृत कविताक स्वादमेविजयि उद्यनक जयोन्माद मेअछि से अद्वूत शक्तिजहि सं होएछ अधर्मारिकहुकेंतव पद पंकज मे भक्ति धीर अयाची सागपात मेपद बद्ध प्रतिभा - प्रभातमेचल आहाँक उत्कर्षऒखन धरि जे झाप रहल अछिहमर सभक अपकर्ष। लक्ष्मीनाथक योगध्यान मेकवी चंद्रक कविताक गान मेंनृप रमशेवर उच्च ज्ञानमेआभा अमल आहाँकविद्याबल विभवक गौरवमेअहँ ची थोर कहांक?
</poem>