अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह= }} पेप्पोर रद्दी पेप्पोर<br> पहर अभ...) |
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| − | पेप्पोर रद्दी पेप्पोर | + | <poem> |
| − | पहर अभी बीता ही है | + | पेप्पोर रद्दी पेप्पोर |
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| − | खड़े खड़े कुम्हला रहे हैं सजीले अशोक के पेड़ | + | पर चौंधा मार रही है धूप |
| − | उरूज पर आ पहुंचा है बैसाख | + | खड़े खड़े कुम्हला रहे हैं सजीले अशोक के पेड़ |
| − | सुन पड़ती है सड़क से | + | उरूज पर आ पहुंचा है बैसाख |
| − | किसी बच्चा कबाड़ी की संगीतमय पुकार | + | सुन पड़ती है सड़क से |
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| − | एक फरियाद है एक फरियाद | + | गोया एक फरियाद है अजान-सी |
| − | कुछ थोड़ा और भरती मुझे | + | एक फरियाद है एक फरियाद |
| − | अवसाद और अकेलेपन से< | + | कुछ थोड़ा और भरती मुझे |
| + | अवसाद और अकेलेपन से | ||
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11:16, 18 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
पेप्पोर रद्दी पेप्पोर
पहर अभी बीता ही है
पर चौंधा मार रही है धूप
खड़े खड़े कुम्हला रहे हैं सजीले अशोक के पेड़
उरूज पर आ पहुंचा है बैसाख
सुन पड़ती है सड़क से
किसी बच्चा कबाड़ी की संगीतमय पुकार
गोया एक फरियाद है अजान-सी
एक फरियाद है एक फरियाद
कुछ थोड़ा और भरती मुझे
अवसाद और अकेलेपन से