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+ | * [[रातों की नींद ख़्वाब का मंज़र भी ले गया / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी]] | ||
+ | * [[रफ़्तार अजनबी ओ सुख़न चीदा न हो जाए / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी]] | ||
+ | * [[आँखों को मयस्सर कोई मंज़र ही नहीं था / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी]] | ||
+ | * [[बस घड़ी भर के लिए जी दूसरा हो जाएगा / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी]] | ||
+ | * [[दुनिया के कुछ न कुछ तो तलब-गार से रहे / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी]] | ||
+ | * [[फ़क़ीह-ए-शहर से रिश्ता बनाए रहता हूँ / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी]] |
16:02, 18 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
'सुहैल' अहमद ज़ैदी
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जन्म | 1928 |
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निधन | 2007 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
'सुहैल' अहमद ज़ैदी / परिचय |
ग़ज़लें
- इमकान खुले दर का हर आन बहुत रक्खा / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- इसी मामूल-ए-रोज़-ओ-शब में जी का दूसरा होना / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- ख़्वाब आँखों में बसा रहता है / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- कुछ दफ़्न है और साँस लिए जाता है / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- मैं क्या करूँ कोई सब मेरे इख़्तियार में है / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- नवाह-ए-जाँ में कहीं अबतरी सी लगती है / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- पेड़ ऊँचा है मगर ज़ेर-ए-ज़मीं कितना है / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- रातों की नींद ख़्वाब का मंज़र भी ले गया / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- रफ़्तार अजनबी ओ सुख़न चीदा न हो जाए / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- आँखों को मयस्सर कोई मंज़र ही नहीं था / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- बस घड़ी भर के लिए जी दूसरा हो जाएगा / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- दुनिया के कुछ न कुछ तो तलब-गार से रहे / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी
- फ़क़ीह-ए-शहर से रिश्ता बनाए रहता हूँ / 'सुहैल' अहमद ज़ैदी