भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रेम / नन्दकिशोर नवल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | मेरे प्राणों के | + | मेरे प्राणों के शिखर ज्योतिर्मय हो रहे हैं, |
मेरे मन के आम्रवन में मलयपवन का संचार हो रहा है, | मेरे मन के आम्रवन में मलयपवन का संचार हो रहा है, | ||
मेरे अन्तर के शालिक्षेत्र पर चन्दा का अमृत बरस रहा है, | मेरे अन्तर के शालिक्षेत्र पर चन्दा का अमृत बरस रहा है, |
12:32, 20 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
मेरे प्राणों के शिखर ज्योतिर्मय हो रहे हैं,
मेरे मन के आम्रवन में मलयपवन का संचार हो रहा है,
मेरे अन्तर के शालिक्षेत्र पर चन्दा का अमृत बरस रहा है,
मेरे हृदय की डाली में कोंपलें फूट रही हैं,
मेरी चेतना का क्षितिज परिधान बदल रहा है,
मेरे मानसलोक में एक अपर लोक से किरणें आ रही हैं
क्या भीतर की पपड़ियाँ तोड़कर
तुम निकल रहे हो,
प्रेम ?