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17:20, 6 नवम्बर 2007 के समय का अवतरण
पत्थर के नीचे दबी घास के पास भी एक कहानी है
जिसे सुनती रहती है बगल में बहती नदी
घास की सफ़ेद जड़ों से जीवन पाने वाले
छोटे-छोटे जीव ही इसके पात्र हैं
सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों के भी आख़िर अपने संसार हैं
सत्य और असत्य की अपनी भूमिकाएँ हैं यहाँ भी
दुविधाओं हताशाओं क्रूरताओं के बीच
यहाँ भी राज करती है लिप्सा ही इस संसार से