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"चरखो / मोनिका गौड़" के अवतरणों में अंतर

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<poem>जूण रै
 
<poem>जूण रै

16:00, 21 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

जूण रै
चरखै पर
कातूं
सांसां रो सूत
छूट ज्यावै कदैई
तकळी, पूणी कदैई
उतर जावै ताणो
पण चालतो जावै-
चरखो।