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18:22, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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मेरा कैहा मान पिया, बाड़ी मत बोइए;
सर पड़ेगी उघाई तेरे डंडा बाजै जाई,
पिया बाड़ी मत बोइए ।
भावार्थ
--' प्रियतम जी, मेरी बात मान लो, कपास मत बोओ । कर्ज सिर पर चढ़ जाएगा । सिर पर डंडे बजेंगे सो
अलग । प्रिय, मेरी बात मान लो, कपास मत बोऒ ।'