|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=राजस्थानीKKCatRajasthaniRachna}}<poem>अंजन की सीटी में म्हारो मन डोलेचला चला रे डिलैवर गाड़ी हौले हौले
अंजन की सीटी बीजळी को पंखो चाले, गूंज रयो जण भोरोबैठी रेल में म्हारो मन डोले<br>गाबा लाग्यो वो जाटां को छोरोचला चला रे डिलैवर गाड़ी हौले हौले ।।<br><br>...
बीजळी को पंखो चालेडूंगर भागे, गूंज रयो जण भोरो <br>नंदी भागे और भागे खेतबैठी रेल में गाबा लाग्यो वो जाटां को छोरो ।। <br>ढांडा की तो टोली भागे, उड़े रेत ही रेतचला चला रे ।।<br><br>...
डूंगर भागेबड़ी जोर को चाले अंजन, नंदी भागे और भागे खेत<br>देवे ज़ोर की सीटीढांडा की तो टोली भागे, उड़े रेत ही रेत ।। <br>डब्बा डब्बा घूम रयो टोप वारो टी टीचला चला रे ।।<br><br>...
बड़ी जयपुर से जद गाड़ी चाली गाड़ी चाली मैं बैठी थी सूधीअसी जोर को चाले अंजन, देवे ज़ोर की सीटी<br>डब्बा डब्बा घूम रयो टोप वारो टी टी ।। <br>धक्का लाग्यो जद मैं पड़ गयी उँधीचला चला रे ।।<br><br>...
जयपुर से जद गाड़ी चाली गाड़ी चाली मैं बैठी थी सूधी <br>असी जोर को धक्का लाग्यो जद मैं पड़ गयी उँधी ।। <br>चला चला रे ।।<br><br> '''शब्दार्थ:'''<br>डलेवर= ड्राईवर<br>गाबा= गाने लगना<br>डूंगर= पहाड़<br>नंदी= नदी <br>ढांडा= जानवर <br>जद= जब (जदी, जर और जण भी कहा जाता है) <br>असी= ऐसा, इतना<br><br/poem>