{{KKRachna
|रचनाकार=आन्द्रेय वाज़्नेसेंस्की
|अनुवादक=वरयाम सिंह
|संग्रह=
}}
(जि. कोजिरेव के लिए)
दिक् में नहीं बल्कि जिओ जीओ काल में।तुम्हें सौंपे गये गए हैं क्षण-वृक्षवन-संपदा सम्पदा के नहीं, मालिक वनो बनो क्षणों केगुजार गुज़ार दो यह जिंदगी ज़िन्दगी क्षण-गृहों में!
कीमती फर क़ीमती फ़र के बदलेपहनाओ अमूल्य क्षण!
एकदम बेडौल है काल :
अंतिम अन्तिम घड़ियाँ जितनी छोटीउतने ही लंबे लम्बे विछोह के पल।पल ।
तौल के बट्टे खेलते हैं आँखमिचौनी।आँखमिचौली।
तुम शतुरमुर्ग तो हो नहीं
कि छिप छुप सको मिट्टी में।में ।
मरते हैं दिक् में
जिया जाता है काल में।
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
'''अब यही कविता रूसी भाषा में पढ़िए'''
Андрей Вознесенский
Живите не в пространстве, а во времени
Живите не в пространстве, а во времени,
минутные деревья вам доверены,
владейте не лесами, а часами,
живите под минутными домами, и плечи вместо соболя кому-то
закутайте в бесценную минуту… Какое несимметричное Время!
Последние минуты — короче,
Последняя разлука — длиннее…
Килограммы сыграют в коробочку.
Вы не страус, чтоб уткнуться в бренное. Умирают — в пространстве.
Живут — во времени.
</poem>