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क्या सकेगा न चैन चित में थम। | क्या सकेगा न चैन चित में थम। | ||
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क्या सकेंगे न फूल फल अब हम। | क्या सकेंगे न फूल फल अब हम। | ||
साँसतें क्या इसी तरह होंगी। | साँसतें क्या इसी तरह होंगी। | ||
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जायगा सुख न क्या कभी भोगा। | जायगा सुख न क्या कभी भोगा। | ||
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क्या दुखी दिन बदिन बनेंगे ही। | क्या दुखी दिन बदिन बनेंगे ही। | ||
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क्या चला जायगा हमारा सब। | क्या चला जायगा हमारा सब। | ||
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क्या गिरेंगे इसी तरह दिन दिन। | क्या गिरेंगे इसी तरह दिन दिन। | ||
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क्या फिरेंगे न दिन हमारे अब। | क्या फिरेंगे न दिन हमारे अब। | ||
कर लगातार भूल पर भूलें। | कर लगातार भूल पर भूलें। | ||
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क्या रहेंगे सदा बने भोले। | क्या रहेंगे सदा बने भोले। | ||
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क्यों खेले खोखले बना कोई। | क्यों खेले खोखले बना कोई। | ||
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क्या खुलेगी न आँख अब खोले। | क्या खुलेगी न आँख अब खोले। | ||
क्या बुरे से बुरे दुखों को सह। | क्या बुरे से बुरे दुखों को सह। | ||
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एड़ियाँ ही घिसा करेंगे हम। | एड़ियाँ ही घिसा करेंगे हम। | ||
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क्या टलेंगे न पीसने वाले। | क्या टलेंगे न पीसने वाले। | ||
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क्या सदा ही पिसा करेंगे हम। | क्या सदा ही पिसा करेंगे हम। | ||
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09:14, 20 मार्च 2014 के समय का अवतरण
क्या न हित-बेलि लहलही होगी।
क्या सकेगा न चैन चित में थम।
हो सकेंगे न क्या भले दिन फल।
क्या सकेंगे न फूल फल अब हम।
साँसतें क्या इसी तरह होंगी।
जायगा सुख न क्या कभी भोगा।
क्या दुखी दिन बदिन बनेंगे ही।
क्या कुदिन अब सुदिन नहीं होगा।
क्या बचाये न बच सकेगा कुछ।
क्या चला जायगा हमारा सब।
क्या गिरेंगे इसी तरह दिन दिन।
क्या फिरेंगे न दिन हमारे अब।
कर लगातार भूल पर भूलें।
क्या रहेंगे सदा बने भोले।
क्यों खेले खोखले बना कोई।
क्या खुलेगी न आँख अब खोले।
क्या बुरे से बुरे दुखों को सह।
एड़ियाँ ही घिसा करेंगे हम।
क्या टलेंगे न पीसने वाले।
क्या सदा ही पिसा करेंगे हम।