"नोक-झाेंक / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर
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− | + | जा रही हैं सूखती सुख क्यारियाँ। | |
− | + | ||
जो रहीं न्यारे रसों से सिंच गईं। | जो रहीं न्यारे रसों से सिंच गईं। | ||
− | |||
खिंच गये तुम भी इसी का रंज है। | खिंच गये तुम भी इसी का रंज है। | ||
− | |||
खिंच गईं भौंहें बला से खिंच गईं। | खिंच गईं भौंहें बला से खिंच गईं। | ||
साँच को आँच है नहीं लगती। | साँच को आँच है नहीं लगती। | ||
− | |||
हम करेंगे कभी नहीं सौंहें। | हम करेंगे कभी नहीं सौंहें। | ||
− | |||
चिढ़ गये तो चिढ़े रहें डर क्या। | चिढ़ गये तो चिढ़े रहें डर क्या। | ||
− | |||
चढ़ गईं तो चढ़ी रहें भौंहें। | चढ़ गईं तो चढ़ी रहें भौंहें। | ||
− | जाय जिससे | + | जाय जिससे कुचल कभी कोई। |
− | + | ||
चाल ऐसी भले न चलते हैं। | चाल ऐसी भले न चलते हैं। | ||
− | |||
आप तो बात ही बदलते थे। | आप तो बात ही बदलते थे। | ||
− | |||
आँख अब किसलिए बदलते हैं। | आँख अब किसलिए बदलते हैं। | ||
जब जगह रह गई नहीं जी में। | जब जगह रह गई नहीं जी में। | ||
− | |||
तब भला क्यों न जी फिरा पाते। | तब भला क्यों न जी फिरा पाते। | ||
− | |||
जब बचा रह गया न अपनापन। | जब बचा रह गया न अपनापन। | ||
− | + | आँख कैसे न तब बचा जाते। | |
− | आँख | + | |
जो बहुत से भेद जी के थे छिपे। | जो बहुत से भेद जी के थे छिपे। | ||
− | |||
आँख से ही लग गये उन के पते। | आँख से ही लग गये उन के पते। | ||
− | |||
क्या हुआ जी की अगर चोरी खुली। | क्या हुआ जी की अगर चोरी खुली। | ||
− | |||
जब रहे आँखें चुरा कर देखते। | जब रहे आँखें चुरा कर देखते। | ||
क्या अजब जो ललक पड़ें; उमगें। | क्या अजब जो ललक पड़ें; उमगें। | ||
− | |||
खिल उठें, स्वांग सैकड़ों रच लें। | खिल उठें, स्वांग सैकड़ों रच लें। | ||
− | |||
मुँह खिला देख प्यार-पुतलों का। | मुँह खिला देख प्यार-पुतलों का। | ||
− | |||
आँख की पुतलियाँ अगर मचलें। | आँख की पुतलियाँ अगर मचलें। | ||
पक गया जी, नाक में दम हो गया। | पक गया जी, नाक में दम हो गया। | ||
− | + | तुम न सुधरे, सिर पड़ी हम ने सही। | |
− | तुम न | + | |
− | + | ||
हँस रहे हो या नहीं हो हँस रहे। | हँस रहे हो या नहीं हो हँस रहे। | ||
− | + | पर तुम्हारी आँख तो है हँस रही। | |
− | पर | + | |
छोड़िये ऐंठ मानिये बातें। | छोड़िये ऐंठ मानिये बातें। | ||
− | |||
किसलिए आप इतने ऐंठे हैं। | किसलिए आप इतने ऐंठे हैं। | ||
− | |||
आइये आँख पर बिठायेंगे। | आइये आँख पर बिठायेंगे। | ||
− | |||
आज आँखें बिछाये बैठे हैं। | आज आँखें बिछाये बैठे हैं। | ||
हम तुम्हें देख देख जीयेंगे। | हम तुम्हें देख देख जीयेंगे। | ||
− | |||
और के मुँह को देख तुम जी लो। | और के मुँह को देख तुम जी लो। | ||
− | |||
हम न बदलेंगे रंग अपना, तुम। | हम न बदलेंगे रंग अपना, तुम। | ||
− | |||
आँख अपनी बदल भले ही लो। | आँख अपनी बदल भले ही लो। | ||
हम सदा जी दिया किये तुम को। | हम सदा जी दिया किये तुम को। | ||
− | |||
तुम हमें जी कभी नहीं देते। | तुम हमें जी कभी नहीं देते। | ||
− | |||
आँख हम तो नहीं बदलते हैं। | आँख हम तो नहीं बदलते हैं। | ||
− | |||
आप हैं आँख क्यों बदल लेते। | आप हैं आँख क्यों बदल लेते। | ||
− | + | कुछ पसीजी और जी के मैल को। | |
− | + | एक दो बूँदें गिरा, कुछ धो गईं। | |
− | एक दो बूँदें गिरा, | + | |
− | + | ||
देख लो लाचार तुम भी हो गये। | देख लो लाचार तुम भी हो गये। | ||
− | |||
आज तो दो चार आँखें हो गईं। | आज तो दो चार आँखें हो गईं। | ||
लूट लो, पीस दो, मसल डालो। | लूट लो, पीस दो, मसल डालो। | ||
− | |||
पर सितम मौत का बसेरा है। | पर सितम मौत का बसेरा है। | ||
+ | देख अँधेरा, यह कहेंगे हम। | ||
+ | आँख पर छा गया अँधेरा है। | ||
− | + | जब कि धन भर गया बहुत उस में। | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | जब कि | + | |
− | + | ||
तब मुरौअत कहाँ ठहर पाती। | तब मुरौअत कहाँ ठहर पाती। | ||
− | |||
जब उलट कर न आप देख सके। | जब उलट कर न आप देख सके। | ||
+ | आँख कैसे न तब उलट जाती। | ||
− | + | छूट कैसे हाथ से उसके सकें। | |
− | + | ||
− | छूट | + | |
− | + | ||
जो किसी को हाथ में नट कर करे। | जो किसी को हाथ में नट कर करे। | ||
− | |||
किस तरह उस से बचावें आँख हम। | किस तरह उस से बचावें आँख हम। | ||
− | |||
जो हमारी आँख ही में घर करे। | जो हमारी आँख ही में घर करे। | ||
देखना ही कमाल रखता है। | देखना ही कमाल रखता है। | ||
− | |||
प्यार का रंग कब जमा वैसे। | प्यार का रंग कब जमा वैसे। | ||
− | |||
आँख जिस पर ठहर नहीं पाती। | आँख जिस पर ठहर नहीं पाती। | ||
− | + | आँख में वह ठहर सके कैसे। | |
− | आँख में वह ठहर सके | + | |
आज भी है याद वैसी ही बनी। | आज भी है याद वैसी ही बनी। | ||
− | |||
है वही रंगत औ चाहत है वही। | है वही रंगत औ चाहत है वही। | ||
− | |||
तुम तरस खा कर कभी मिलते नहीं। | तुम तरस खा कर कभी मिलते नहीं। | ||
− | |||
आँख अब तक तो तरसती ही रही। | आँख अब तक तो तरसती ही रही। | ||
देखने ही के लिए सूरत बनी। | देखने ही के लिए सूरत बनी। | ||
− | |||
देखने ही में न वह पीछे पड़े। | देखने ही में न वह पीछे पड़े। | ||
− | |||
आँख में चुभ कर न आँखों में चुभे। | आँख में चुभ कर न आँखों में चुभे। | ||
− | |||
आँख में गड़ कर न आँखों में गड़े। | आँख में गड़ कर न आँखों में गड़े। | ||
− | जो किसी को लगा बुरा | + | जो किसी को लगा बुरा धब्बा। |
− | + | ||
तो ढिठाई उसे नहीं धोती। | तो ढिठाई उसे नहीं धोती। | ||
− | + | सामने आँख तब करें कैसे। | |
− | सामने आँख तब करें | + | |
− | + | ||
सामने आँख जब नहीं होती। | सामने आँख जब नहीं होती। | ||
हो सराबोर तुम रसों में, तो। | हो सराबोर तुम रसों में, तो। | ||
− | |||
मैं रसों का अजीब सोता हूँ। | मैं रसों का अजीब सोता हूँ। | ||
− | |||
किस लिए आँख यों बचाते हो। | किस लिए आँख यों बचाते हो। | ||
− | |||
मैं नहीं आँखफोड़ तोता हूँ। | मैं नहीं आँखफोड़ तोता हूँ। | ||
देखिये क्या कर दिखाता भाग है। | देखिये क्या कर दिखाता भाग है। | ||
− | |||
वे भरे हैं और हम भी हैं खरे। | वे भरे हैं और हम भी हैं खरे। | ||
− | |||
आज वे बेदरदियों पर हैं अड़े। | आज वे बेदरदियों पर हैं अड़े। | ||
− | |||
हम खड़े हैं आँख में आँसू भरे। | हम खड़े हैं आँख में आँसू भरे। | ||
तब भला बात का असर क्या हो। | तब भला बात का असर क्या हो। | ||
− | |||
जब असर के न रह गये नाते। | जब असर के न रह गये नाते। | ||
− | |||
है कसर बैठ जब गई जी में। | है कसर बैठ जब गई जी में। | ||
− | |||
किस तरह आँख तब उठा पाते। | किस तरह आँख तब उठा पाते। | ||
− | तब भला | + | तब भला सीध में कसर क्यों हो। |
− | + | ||
जब रहे ठीक आँख का तारा। | जब रहे ठीक आँख का तारा। | ||
− | |||
तब सके चूक किस तरह से वह। | तब सके चूक किस तरह से वह। | ||
− | |||
जब गया तीर ताक कर मारा। | जब गया तीर ताक कर मारा। | ||
− | आज तक | + | आज तक कुछ भी सँभल पाये नहीं। |
− | + | ||
बात से तो नित सँभलते ही रहे। | बात से तो नित सँभलते ही रहे। | ||
− | |||
ढंग बदलें जो बदलते बन सके। | ढंग बदलें जो बदलते बन सके। | ||
− | |||
आप तेवर तो बदलते ही रहे। | आप तेवर तो बदलते ही रहे। | ||
काम टेढे से बने टेढे चला। | काम टेढे से बने टेढे चला। | ||
− | |||
मान सीधो हो सके सीधो कहे। | मान सीधो हो सके सीधो कहे। | ||
− | |||
क्यों न हम भी आज तेवर लें चढ़ा। | क्यों न हम भी आज तेवर लें चढ़ा। | ||
− | |||
हैं बुरे तेवर दिखाई दे रहे। | हैं बुरे तेवर दिखाई दे रहे। | ||
− | हम | + | हम बड़ी बातें करें तो क्यों करें। |
− | + | आप ही तो कर बड़ी बातें बढ़े। | |
− | आप ही तो कर | + | |
− | + | ||
हम चढ़ायेंगे कभी तेवर नहीं। | हम चढ़ायेंगे कभी तेवर नहीं। | ||
− | |||
क्यों न होवें आप के तेवर चढे। | क्यों न होवें आप के तेवर चढे। | ||
बेतरह अरमान मेरे मिस उठे। | बेतरह अरमान मेरे मिस उठे। | ||
− | |||
साँसतें सारी उमंगों ने सहीं। | साँसतें सारी उमंगों ने सहीं। | ||
− | |||
हम रहें तो किस तरह अच्छे रहें। | हम रहें तो किस तरह अच्छे रहें। | ||
− | |||
आज तेवर आप के अच्छे नहीं। | आज तेवर आप के अच्छे नहीं। | ||
किस लिए उन पर कड़े पड़ते रहे। | किस लिए उन पर कड़े पड़ते रहे। | ||
− | |||
हाथ बाँधो जो रहे सब दिन खड़े। | हाथ बाँधो जो रहे सब दिन खड़े। | ||
− | |||
डर हमें तिरछी निगाहों का नहीं। | डर हमें तिरछी निगाहों का नहीं। | ||
− | |||
देखिये अब बल न तेवर पर पड़े। | देखिये अब बल न तेवर पर पड़े। | ||
चाहिए था न चोट यों करना। | चाहिए था न चोट यों करना। | ||
− | |||
पत्थरों के बने न सीने थे। | पत्थरों के बने न सीने थे। | ||
− | |||
क्यों भला आप भर गये साहब। | क्यों भला आप भर गये साहब। | ||
− | |||
कान ही तो भरे किसी ने थे। | कान ही तो भरे किसी ने थे। | ||
क्यों कहेंगे न, सुन सके; सुन लें। | क्यों कहेंगे न, सुन सके; सुन लें। | ||
− | |||
हम मनायेंगे, आप ऐंठे हैं। | हम मनायेंगे, आप ऐंठे हैं। | ||
− | + | हम सकें मूँद मुँह भला कैसे। | |
− | हम सकें मूँद मुँह भला | + | |
− | + | ||
आप तो कान मूँद बैठे हैं। | आप तो कान मूँद बैठे हैं। | ||
− | आप तूमार | + | आप तूमार बाँध देते हैं। |
− | + | ||
और हम ने न खोल मुँह पाया। | और हम ने न खोल मुँह पाया। | ||
− | + | हो न जावें तमाम हम कैसे। | |
− | हो न जावें तमाम हम | + | |
− | + | ||
आपका गाल तमतमा आया। | आपका गाल तमतमा आया। | ||
आप ही जब कि तन गये मुझ से। | आप ही जब कि तन गये मुझ से। | ||
− | |||
तब भला किस तरह भवें न तनें। | तब भला किस तरह भवें न तनें। | ||
− | |||
जब हुईं लाल लाल आँखें तब। | जब हुईं लाल लाल आँखें तब। | ||
− | + | गाल कैसे न लाल लाल बनें। | |
− | गाल | + | |
भेद कितने बिन खुले ही रह गये। | भेद कितने बिन खुले ही रह गये। | ||
− | |||
आज तक भी आप ने खोले नहीं। | आज तक भी आप ने खोले नहीं। | ||
− | |||
आप का मुँह ताकते ही रह गये। | आप का मुँह ताकते ही रह गये। | ||
− | |||
आप तो मुँह भर कभी बोले नहीं। | आप तो मुँह भर कभी बोले नहीं। | ||
किस तरह से दूसरे मीठे बने। | किस तरह से दूसरे मीठे बने। | ||
− | + | और हम कैसे बने तीते रहे। | |
− | और हम | + | |
− | + | ||
आप मुँह से बोल तक सकते नहीं। | आप मुँह से बोल तक सकते नहीं। | ||
− | |||
आप का मुँह देख हम जीते रहे। | आप का मुँह देख हम जीते रहे। | ||
हैं हमीं ऐसे कि जिस को हर घड़ी। | हैं हमीं ऐसे कि जिस को हर घड़ी। | ||
− | |||
निज सगों का ही बना खटका रहा। | निज सगों का ही बना खटका रहा। | ||
− | |||
लख लटूरे बाल को जी लट गया। | लख लटूरे बाल को जी लट गया। | ||
− | |||
लट लटकती देख मुँह लटका रहा। | लट लटकती देख मुँह लटका रहा। | ||
आँख से क्या निकल पड़े आँसू। | आँख से क्या निकल पड़े आँसू। | ||
− | |||
मैल जी का सहल नहीं धुलना। | मैल जी का सहल नहीं धुलना। | ||
− | |||
आप मुँह देख जीभ ले ही लें। | आप मुँह देख जीभ ले ही लें। | ||
− | |||
है बहुत ही मुहाल मुँह खुलना। | है बहुत ही मुहाल मुँह खुलना। | ||
बढ़ गये पर बुरे बखेड़ों के। | बढ़ गये पर बुरे बखेड़ों के। | ||
− | |||
बैर का पाँव गाड़ना देखा। | बैर का पाँव गाड़ना देखा। | ||
− | |||
हो गये पर बिगाड़ बिगड़े का। | हो गये पर बिगाड़ बिगड़े का। | ||
− | |||
मुँह बिगड़ना बिगाड़ना देखा। | मुँह बिगड़ना बिगाड़ना देखा। | ||
वह उतर कर चढ़ा रहा चित पर। | वह उतर कर चढ़ा रहा चित पर। | ||
− | |||
रंग लाया पसीज पड़ कर भी। | रंग लाया पसीज पड़ कर भी। | ||
− | |||
बन गई बात बिन बनाये ही। | बन गई बात बिन बनाये ही। | ||
− | |||
रंग मुँह का बना बिगड़ कर भी। | रंग मुँह का बना बिगड़ कर भी। | ||
कारनामा वह बहुत आला रहा। | कारनामा वह बहुत आला रहा। | ||
− | |||
आप की करतूत है भोंड़ी बड़ी। | आप की करतूत है भोंड़ी बड़ी। | ||
− | |||
मुँह दिया था दैव ने ही तो बना। | मुँह दिया था दैव ने ही तो बना। | ||
− | |||
आप को क्या मुँह बनाने की पड़ी। | आप को क्या मुँह बनाने की पड़ी। | ||
क्यों न सब दिन मुँह चुराते वे रहें। | क्यों न सब दिन मुँह चुराते वे रहें। | ||
− | |||
चोर को देती चिन्हा हैं चोरियाँ। | चोर को देती चिन्हा हैं चोरियाँ। | ||
− | |||
हैं बड़ी कमजोरियाँ उन में भरी। | हैं बड़ी कमजोरियाँ उन में भरी। | ||
− | |||
देख लीं मुँहजोर की मुँहजोरियाँ। | देख लीं मुँहजोर की मुँहजोरियाँ। | ||
बात वह भी लगी बहुत खलने। | बात वह भी लगी बहुत खलने। | ||
− | |||
आप को जो न थी कभी खलती। | आप को जो न थी कभी खलती। | ||
− | |||
अब लगे आप मुँह चलाने क्यों। | अब लगे आप मुँह चलाने क्यों। | ||
− | |||
जीभ तो कम नहीं रही चलती। | जीभ तो कम नहीं रही चलती। | ||
इस तरह का बना कलेजा है। | इस तरह का बना कलेजा है। | ||
− | |||
जो कि सारी मुसीबतें सह ले। | जो कि सारी मुसीबतें सह ले। | ||
− | + | बेधड़क आग मुँह उगल लेवे। | |
− | + | ||
− | + | ||
जीभ बातें गरम गरम कह ले। | जीभ बातें गरम गरम कह ले। | ||
आप साहस बँधाइये मुझ को। | आप साहस बँधाइये मुझ को। | ||
− | |||
क्या करेंगी भली बुरी घातें। | क्या करेंगी भली बुरी घातें। | ||
− | |||
देखिये दब न जाय जी मेरा। | देखिये दब न जाय जी मेरा। | ||
− | |||
सुन दबी जीभ की दबी बातें। | सुन दबी जीभ की दबी बातें। | ||
जब कि नीरस बात मुँह पर आ गई। | जब कि नीरस बात मुँह पर आ गई। | ||
− | |||
किस तरह रस-धार तब जी में बहे। | किस तरह रस-धार तब जी में बहे। | ||
− | |||
छरछराहट जब कलेजे में हुई। | छरछराहट जब कलेजे में हुई। | ||
+ | मुसकुराहट होठ पर कैसे रहे। | ||
− | + | प्यार का कुम्हला गया मुखड़ा खिला। | |
− | + | ||
− | प्यार का | + | |
− | + | ||
पड़ गये अरमान पर रस के घड़े। | पड़ गये अरमान पर रस के घड़े। | ||
− | |||
मैल कितना ही निकल पल में गया। | मैल कितना ही निकल पल में गया। | ||
− | |||
खोल कर दिल खिलखिलाकर हँस पड़े। | खोल कर दिल खिलखिलाकर हँस पड़े। | ||
− | आँख | + | आँख कैसे न तब बहा करती। |
− | + | ||
आँख ही आँख जब गड़ाती है। | आँख ही आँख जब गड़ाती है। | ||
− | |||
किस तरह तब हँसी न छिन जाती। | किस तरह तब हँसी न छिन जाती। | ||
− | |||
जब हँसी ही हँसी उड़ाती है। | जब हँसी ही हँसी उड़ाती है। | ||
दिल छिलेंगे कभी न क्या उन के। | दिल छिलेंगे कभी न क्या उन के। | ||
− | |||
क्या पड़ेंगे न जीभ पर छाले। | क्या पड़ेंगे न जीभ पर छाले। | ||
− | |||
बेतरह छिल गये कलेजे को। | बेतरह छिल गये कलेजे को। | ||
− | |||
छील लें बात छीलने वाले। | छील लें बात छीलने वाले। | ||
सामना जब बदसलूकी का हुआ। | सामना जब बदसलूकी का हुआ। | ||
− | |||
तब बिचारी बूझ जाती दब न क्यों। | तब बिचारी बूझ जाती दब न क्यों। | ||
− | |||
बान ही जब है उलझने की पड़ी। | बान ही जब है उलझने की पड़ी। | ||
− | |||
बात कह उलझी उलझते तब न क्यों। | बात कह उलझी उलझते तब न क्यों। | ||
दिल भला किस तरह न जाता हिल। | दिल भला किस तरह न जाता हिल। | ||
− | |||
जब कपट से न ठीक ठीक पटी। | जब कपट से न ठीक ठीक पटी। | ||
− | + | जीभ कैसे न लटपटा जाती। | |
− | जीभ | + | |
− | + | ||
बात कहते हुए लगी लिपटी। | बात कहते हुए लगी लिपटी। | ||
बान जिन की पड़ी बहकने की। | बान जिन की पड़ी बहकने की। | ||
− | |||
मानते वे नहीं बिना बहके। | मानते वे नहीं बिना बहके। | ||
− | |||
बेतुकापन नहीं दिखाते कब। | बेतुकापन नहीं दिखाते कब। | ||
− | |||
बेतुके बात बेतुकी कह के। | बेतुके बात बेतुकी कह के। | ||
जब सुलझना उन्हें नहीं आता। | जब सुलझना उन्हें नहीं आता। | ||
− | |||
तब गिरह खोल किस तरह सुलझें। | तब गिरह खोल किस तरह सुलझें। | ||
− | |||
चाल का जाल जब बिछाते हैं। | चाल का जाल जब बिछाते हैं। | ||
− | |||
तब न क्यों बात बात में उलझें। | तब न क्यों बात बात में उलझें। | ||
लूटते हैं फँसा लपेटों में। | लूटते हैं फँसा लपेटों में। | ||
− | |||
बेतरह हैं कभी कभी ठगते। | बेतरह हैं कभी कभी ठगते। | ||
− | |||
कब नहीं बूझ से गये तोले। | कब नहीं बूझ से गये तोले। | ||
− | |||
हैं बतोले बहुत बुरे लगते। | हैं बतोले बहुत बुरे लगते। | ||
जो किसी चित से नहीं पाती उतर। | जो किसी चित से नहीं पाती उतर। | ||
− | |||
दे बना बेचैन वह मूरत नहीं। | दे बना बेचैन वह मूरत नहीं। | ||
− | |||
अनबनों में पड़ न आँखों में गड़े। | अनबनों में पड़ न आँखों में गड़े। | ||
− | |||
देखिये बिगड़े बनी सूरत नहीं। | देखिये बिगड़े बनी सूरत नहीं। | ||
सब तरह के लाभ की बातें सुना। | सब तरह के लाभ की बातें सुना। | ||
− | |||
रुचि बहुत ही आज बहलाई गई। | रुचि बहुत ही आज बहलाई गई। | ||
− | |||
किस तरह देखे बिना सूरत जियें। | किस तरह देखे बिना सूरत जियें। | ||
− | |||
वह हमें सूरत न बतलाई गई। | वह हमें सूरत न बतलाई गई। | ||
भौंह सीधी, हँसी बहुत सादी। | भौंह सीधी, हँसी बहुत सादी। | ||
− | |||
औ सरलपन भरी हुई बोली। | औ सरलपन भरी हुई बोली। | ||
− | |||
हम भला भूल किस तरह देवें। | हम भला भूल किस तरह देवें। | ||
− | |||
भूलती हैं न सूरतें भोली। | भूलती हैं न सूरतें भोली। | ||
लालसा है रस बरसती ही रहे। | लालसा है रस बरसती ही रहे। | ||
− | |||
पर तुमारी आँख रिस से लाल है। | पर तुमारी आँख रिस से लाल है। | ||
− | |||
यह चमेली है खिलाना आग में। | यह चमेली है खिलाना आग में। | ||
− | |||
यह हथेली पर जमाना बाल है। | यह हथेली पर जमाना बाल है। | ||
प्यारे का प्याला नहीं हम भर सके। | प्यारे का प्याला नहीं हम भर सके। | ||
− | |||
भर सको तो अब उसे भर लो तुम्हीं। | भर सको तो अब उसे भर लो तुम्हीं। | ||
− | |||
हम तुम्हें तो ले न मूठी में सके। | हम तुम्हें तो ले न मूठी में सके। | ||
− | |||
मूठियों में अब हमें कर लो तुम्हीं। | मूठियों में अब हमें कर लो तुम्हीं। | ||
गुदगुदायें औ रिझायें रीझ कर। | गुदगुदायें औ रिझायें रीझ कर। | ||
− | |||
बात मीठी बोल कर मन मोल लें। | बात मीठी बोल कर मन मोल लें। | ||
− | |||
दूसरा तो खोल सकता ही नहीं। | दूसरा तो खोल सकता ही नहीं। | ||
− | |||
खोलना हो आप मूठी खोल लें। | खोलना हो आप मूठी खोल लें। | ||
काम कब तक भला बनावट दे। | काम कब तक भला बनावट दे। | ||
− | |||
रीझ कब तक भला रहे रूठी। | रीझ कब तक भला रहे रूठी। | ||
− | |||
बोलते बोलते गये खुल हम। | बोलते बोलते गये खुल हम। | ||
− | |||
खोलते खोलते खुली मूठी। | खोलते खोलते खुली मूठी। | ||
हम बलायें आप की हैं ले रहे। | हम बलायें आप की हैं ले रहे। | ||
− | |||
और हम पर आप लाते हैं बला। | और हम पर आप लाते हैं बला। | ||
− | |||
चाल चलने से कभी चूके नहीं। | चाल चलने से कभी चूके नहीं। | ||
− | |||
चाह है तो लो तमाचे भी चला। | चाह है तो लो तमाचे भी चला। | ||
यह सताने में सहमता ही नहीं। | यह सताने में सहमता ही नहीं। | ||
− | |||
सब सुखों के हैं हमें लाले पड़े। | सब सुखों के हैं हमें लाले पड़े। | ||
− | |||
सुन गँसीली बात हाथों के मले। | सुन गँसीली बात हाथों के मले। | ||
− | |||
छिल गया दिल, हाथ में छाले पड़े। | छिल गया दिल, हाथ में छाले पड़े। | ||
मत बचन-बान मार बीर बनें। | मत बचन-बान मार बीर बनें। | ||
− | |||
क्या नहीं प्यार प्यार-थाती में। | क्या नहीं प्यार प्यार-थाती में। | ||
− | |||
छेद लें छेदने चले हैं तो। | छेद लें छेदने चले हैं तो। | ||
− | |||
देखिये हो न छेद छाती में। | देखिये हो न छेद छाती में। | ||
आप के जैसा जिसे हीरा मिले। | आप के जैसा जिसे हीरा मिले। | ||
− | |||
क्यों मरे वह चाट हीरे की कनी। | क्यों मरे वह चाट हीरे की कनी। | ||
− | |||
आप तन करके हमें तन बिन न दें। | आप तन करके हमें तन बिन न दें। | ||
− | |||
जो तनी है तो रहे छाती तनी। | जो तनी है तो रहे छाती तनी। | ||
जब कभी बात तर कही न गई। | जब कभी बात तर कही न गई। | ||
− | |||
हो सके किस तरह कलेजा तर। | हो सके किस तरह कलेजा तर। | ||
− | |||
देखना हो अगर दहल दिल की। | देखना हो अगर दहल दिल की। | ||
− | |||
देखिये हाथ रखकर कलेजे पर। | देखिये हाथ रखकर कलेजे पर। | ||
किस तरह प्यार कर सकें उन को। | किस तरह प्यार कर सकें उन को। | ||
− | |||
जो चुभे बार बार नेजे से। | जो चुभे बार बार नेजे से। | ||
− | |||
दुख कलेजा गया जिन्हें देखे। | दुख कलेजा गया जिन्हें देखे। | ||
− | |||
क्यों लगायें उन्हें कलेजे से। | क्यों लगायें उन्हें कलेजे से। | ||
बेतरह रोब गाँठते ही थे। | बेतरह रोब गाँठते ही थे। | ||
− | |||
अब गया मौत को सहेजा क्यों। | अब गया मौत को सहेजा क्यों। | ||
− | |||
आँख तो आप काढ़ते ही थे। | आँख तो आप काढ़ते ही थे। | ||
− | |||
अब लगे काढ़ने कलेजा क्यों। | अब लगे काढ़ने कलेजा क्यों। | ||
किस तरह रीझता रिझाये वह। | किस तरह रीझता रिझाये वह। | ||
− | |||
जब किये प्यार खीज खीजा ही। | जब किये प्यार खीज खीजा ही। | ||
− | |||
किस तरह तब पसीजता कोई। | किस तरह तब पसीजता कोई। | ||
− | |||
जब कलेजा नहीं पसीजा ही। | जब कलेजा नहीं पसीजा ही। | ||
है बड़े बेपीर से पाला पड़ा। | है बड़े बेपीर से पाला पड़ा। | ||
− | |||
भाग में सुख है न दुखियों के लिखा। | भाग में सुख है न दुखियों के लिखा। | ||
− | |||
जो कलेजा देख दुख पिघला नहीं। | जो कलेजा देख दुख पिघला नहीं। | ||
− | + | तो कलेजा काढ़ कैसे दें दिखा। | |
− | तो कलेजा काढ़ | + | |
प्यार ही से भरा हुआ वह है। | प्यार ही से भरा हुआ वह है। | ||
− | |||
देख लें देख वे सकें जैसे। | देख लें देख वे सकें जैसे। | ||
− | |||
जब निकलती नहीं कसर जी की। | जब निकलती नहीं कसर जी की। | ||
− | + | हम कलेजा निकाल दें कैसे। | |
− | हम कलेजा निकाल दें | + | |
ताड़ने वाले नहीं कब ताड़ते। | ताड़ने वाले नहीं कब ताड़ते। | ||
− | |||
तोड़ना है दिल अगर तो तोड़ लो। | तोड़ना है दिल अगर तो तोड़ लो। | ||
− | |||
मुँह चिढ़ा लो मोड़ लो मुँह बक बहँक। | मुँह चिढ़ा लो मोड़ लो मुँह बक बहँक। | ||
− | |||
फोड़ लो दिल के फफोले फोड़ लो। | फोड़ लो दिल के फफोले फोड़ लो। | ||
वे चुहल के चाव के पुतले बने। | वे चुहल के चाव के पुतले बने। | ||
− | |||
चोचलों का रंग है पहचानते। | चोचलों का रंग है पहचानते। | ||
− | |||
चाल चखना, चौंकना, जाना मचल। | चाल चखना, चौंकना, जाना मचल। | ||
− | + | दिल चलाना दिलजले हैं जानते। | |
− | दिल चलाना | + | |
वह भला है, है भलाई से भरा। | वह भला है, है भलाई से भरा। | ||
− | |||
या घिनौने भाव हैं उस में घुसे। | या घिनौने भाव हैं उस में घुसे। | ||
− | |||
खोल कर हम दिल दिखायें किस तरह। | खोल कर हम दिल दिखायें किस तरह। | ||
− | |||
देख लें दिल देखने वाले उसे। | देख लें दिल देखने वाले उसे। | ||
देखने दें मूँद आँखों को न दें। | देखने दें मूँद आँखों को न दें। | ||
− | |||
हिल गये क्यों, जो गई है जीभ हिल। | हिल गये क्यों, जो गई है जीभ हिल। | ||
− | |||
आप छन भर सोचने देवें हमें। | आप छन भर सोचने देवें हमें। | ||
− | |||
सब गया छिन, अब न लेवें छीन दिल। | सब गया छिन, अब न लेवें छीन दिल। | ||
− | + | कुछ नहीं रंग ढंग मिल पाता। | |
− | + | ||
हिल गया वह, कभी गया वह खिल। | हिल गया वह, कभी गया वह खिल। | ||
− | |||
क्या भला खीज कर किया दिल ने। | क्या भला खीज कर किया दिल ने। | ||
− | |||
क्या करेगा पसीज करके दिल। | क्या करेगा पसीज करके दिल। | ||
क्यों हँसी मेरी उड़ाती है हँसी। | क्यों हँसी मेरी उड़ाती है हँसी। | ||
− | |||
बात रंगत में चुहल की क्यों ढली। | बात रंगत में चुहल की क्यों ढली। | ||
− | |||
किस लिए दिल काटने चुटकी लगा। | किस लिए दिल काटने चुटकी लगा। | ||
− | |||
आप ने चुटकी अगर दिल में न ली। | आप ने चुटकी अगर दिल में न ली। | ||
प्यार तो हम किया करेंगे ही। | प्यार तो हम किया करेंगे ही। | ||
− | |||
बारहा क्यों न जाय दिल फेरा। | बारहा क्यों न जाय दिल फेरा। | ||
− | + | दिलजले हम बने रहेंगे ही। | |
− | + | ||
− | + | ||
क्यों न हो दिल दलेल में मेरा। | क्यों न हो दिल दलेल में मेरा। | ||
प्यार जब चाहते नहीं करना। | प्यार जब चाहते नहीं करना। | ||
− | |||
क्यों न सुन नाम प्यार का काँखें। | क्यों न सुन नाम प्यार का काँखें। | ||
− | |||
रंग बदला, बदल गये तेवर। | रंग बदला, बदल गये तेवर। | ||
− | |||
दिल बदलते बदल गईं आँखें। | दिल बदलते बदल गईं आँखें। | ||
कर सके तो कर दिखाये प्यार ही। | कर सके तो कर दिखाये प्यार ही। | ||
− | |||
वह सितम के खोज ले हीले नहीं। | वह सितम के खोज ले हीले नहीं। | ||
− | |||
ले भले ही ले दुखाये दिल नहीं। | ले भले ही ले दुखाये दिल नहीं। | ||
− | |||
छीन ले दिलदार दिल छीले नहीं। | छीन ले दिलदार दिल छीले नहीं। | ||
है कलह तोर मोर का पुतला। | है कलह तोर मोर का पुतला। | ||
− | |||
है कपट का उसे मिला ठीका। | है कपट का उसे मिला ठीका। | ||
− | |||
है भरी पोर पोर कोर कसर। | है भरी पोर पोर कोर कसर। | ||
− | |||
वह बड़ा ही कठोर है जी का। | वह बड़ा ही कठोर है जी का। | ||
हम नहीं आँखें लड़ाना चाहते। | हम नहीं आँखें लड़ाना चाहते। | ||
− | |||
हैं लड़ाकी आप की आँखें लड़ें। | हैं लड़ाकी आप की आँखें लड़ें। | ||
− | |||
आप जी में जल रहे हैं तो जलें। | आप जी में जल रहे हैं तो जलें। | ||
− | |||
क्यों फफोले और के जी में पड़ें। | क्यों फफोले और के जी में पड़ें। | ||
अब न आँसू आँख में मेरी रहा। | अब न आँसू आँख में मेरी रहा। | ||
− | |||
आप ने आँखें उठा ताका नहीं। | आप ने आँखें उठा ताका नहीं। | ||
− | |||
क्यों पके जी का मरम वह, पा सके। | क्यों पके जी का मरम वह, पा सके। | ||
− | |||
हो गया जिसका कि जी पाका नहीं। | हो गया जिसका कि जी पाका नहीं। | ||
थीं पसंद बनाव की बातें हमें। | थीं पसंद बनाव की बातें हमें। | ||
− | |||
अलबनों का तुम गला रेते रहे। | अलबनों का तुम गला रेते रहे। | ||
− | |||
कब रहे लेते हमारा जी न तुम। | कब रहे लेते हमारा जी न तुम। | ||
− | |||
हम तुम्हें कब जी नहीं देते रहे। | हम तुम्हें कब जी नहीं देते रहे। | ||
बात पर आन बान वालों की। | बात पर आन बान वालों की। | ||
− | |||
आप क्यों कान दे नहीं सकते। | आप क्यों कान दे नहीं सकते। | ||
− | |||
तो गँवा मान और क्या माँगें। | तो गँवा मान और क्या माँगें। | ||
− | |||
जी अगर दान दे नहीं सकते। | जी अगर दान दे नहीं सकते। | ||
बे ठने उस से रहेगी किस तरह। | बे ठने उस से रहेगी किस तरह। | ||
− | |||
जो कि उठते बैठते है ऐंठता। | जो कि उठते बैठते है ऐंठता। | ||
− | |||
बात क्यों उस से बिठाये बैठती। | बात क्यों उस से बिठाये बैठती। | ||
− | |||
फेर करके पीठ जो है बैठता। | फेर करके पीठ जो है बैठता। | ||
आप के हाथ ही बिके हम हैं। | आप के हाथ ही बिके हम हैं। | ||
− | |||
रुचि रही कब न आप की चेरी। | रुचि रही कब न आप की चेरी। | ||
− | |||
है अगर चाह भाँप लेने की। | है अगर चाह भाँप लेने की। | ||
− | |||
आप तो पीठ नाप लें मेरी। | आप तो पीठ नाप लें मेरी। | ||
अड़ गये अपनी जगह पर गड़ गये। | अड़ गये अपनी जगह पर गड़ गये। | ||
− | |||
देख लो तुम टाल टलते ही नहीं। | देख लो तुम टाल टलते ही नहीं। | ||
− | |||
हम न मचले हैं चलें तो क्यों चलें। | हम न मचले हैं चलें तो क्यों चलें। | ||
− | + | ऐ हमारे पाँव चलते ही नहीं। | |
− | + | ||
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17:43, 18 मार्च 2014 के समय का अवतरण
जा रही हैं सूखती सुख क्यारियाँ।
जो रहीं न्यारे रसों से सिंच गईं।
खिंच गये तुम भी इसी का रंज है।
खिंच गईं भौंहें बला से खिंच गईं।
साँच को आँच है नहीं लगती।
हम करेंगे कभी नहीं सौंहें।
चिढ़ गये तो चिढ़े रहें डर क्या।
चढ़ गईं तो चढ़ी रहें भौंहें।
जाय जिससे कुचल कभी कोई।
चाल ऐसी भले न चलते हैं।
आप तो बात ही बदलते थे।
आँख अब किसलिए बदलते हैं।
जब जगह रह गई नहीं जी में।
तब भला क्यों न जी फिरा पाते।
जब बचा रह गया न अपनापन।
आँख कैसे न तब बचा जाते।
जो बहुत से भेद जी के थे छिपे।
आँख से ही लग गये उन के पते।
क्या हुआ जी की अगर चोरी खुली।
जब रहे आँखें चुरा कर देखते।
क्या अजब जो ललक पड़ें; उमगें।
खिल उठें, स्वांग सैकड़ों रच लें।
मुँह खिला देख प्यार-पुतलों का।
आँख की पुतलियाँ अगर मचलें।
पक गया जी, नाक में दम हो गया।
तुम न सुधरे, सिर पड़ी हम ने सही।
हँस रहे हो या नहीं हो हँस रहे।
पर तुम्हारी आँख तो है हँस रही।
छोड़िये ऐंठ मानिये बातें।
किसलिए आप इतने ऐंठे हैं।
आइये आँख पर बिठायेंगे।
आज आँखें बिछाये बैठे हैं।
हम तुम्हें देख देख जीयेंगे।
और के मुँह को देख तुम जी लो।
हम न बदलेंगे रंग अपना, तुम।
आँख अपनी बदल भले ही लो।
हम सदा जी दिया किये तुम को।
तुम हमें जी कभी नहीं देते।
आँख हम तो नहीं बदलते हैं।
आप हैं आँख क्यों बदल लेते।
कुछ पसीजी और जी के मैल को।
एक दो बूँदें गिरा, कुछ धो गईं।
देख लो लाचार तुम भी हो गये।
आज तो दो चार आँखें हो गईं।
लूट लो, पीस दो, मसल डालो।
पर सितम मौत का बसेरा है।
देख अँधेरा, यह कहेंगे हम।
आँख पर छा गया अँधेरा है।
जब कि धन भर गया बहुत उस में।
तब मुरौअत कहाँ ठहर पाती।
जब उलट कर न आप देख सके।
आँख कैसे न तब उलट जाती।
छूट कैसे हाथ से उसके सकें।
जो किसी को हाथ में नट कर करे।
किस तरह उस से बचावें आँख हम।
जो हमारी आँख ही में घर करे।
देखना ही कमाल रखता है।
प्यार का रंग कब जमा वैसे।
आँख जिस पर ठहर नहीं पाती।
आँख में वह ठहर सके कैसे।
आज भी है याद वैसी ही बनी।
है वही रंगत औ चाहत है वही।
तुम तरस खा कर कभी मिलते नहीं।
आँख अब तक तो तरसती ही रही।
देखने ही के लिए सूरत बनी।
देखने ही में न वह पीछे पड़े।
आँख में चुभ कर न आँखों में चुभे।
आँख में गड़ कर न आँखों में गड़े।
जो किसी को लगा बुरा धब्बा।
तो ढिठाई उसे नहीं धोती।
सामने आँख तब करें कैसे।
सामने आँख जब नहीं होती।
हो सराबोर तुम रसों में, तो।
मैं रसों का अजीब सोता हूँ।
किस लिए आँख यों बचाते हो।
मैं नहीं आँखफोड़ तोता हूँ।
देखिये क्या कर दिखाता भाग है।
वे भरे हैं और हम भी हैं खरे।
आज वे बेदरदियों पर हैं अड़े।
हम खड़े हैं आँख में आँसू भरे।
तब भला बात का असर क्या हो।
जब असर के न रह गये नाते।
है कसर बैठ जब गई जी में।
किस तरह आँख तब उठा पाते।
तब भला सीध में कसर क्यों हो।
जब रहे ठीक आँख का तारा।
तब सके चूक किस तरह से वह।
जब गया तीर ताक कर मारा।
आज तक कुछ भी सँभल पाये नहीं।
बात से तो नित सँभलते ही रहे।
ढंग बदलें जो बदलते बन सके।
आप तेवर तो बदलते ही रहे।
काम टेढे से बने टेढे चला।
मान सीधो हो सके सीधो कहे।
क्यों न हम भी आज तेवर लें चढ़ा।
हैं बुरे तेवर दिखाई दे रहे।
हम बड़ी बातें करें तो क्यों करें।
आप ही तो कर बड़ी बातें बढ़े।
हम चढ़ायेंगे कभी तेवर नहीं।
क्यों न होवें आप के तेवर चढे।
बेतरह अरमान मेरे मिस उठे।
साँसतें सारी उमंगों ने सहीं।
हम रहें तो किस तरह अच्छे रहें।
आज तेवर आप के अच्छे नहीं।
किस लिए उन पर कड़े पड़ते रहे।
हाथ बाँधो जो रहे सब दिन खड़े।
डर हमें तिरछी निगाहों का नहीं।
देखिये अब बल न तेवर पर पड़े।
चाहिए था न चोट यों करना।
पत्थरों के बने न सीने थे।
क्यों भला आप भर गये साहब।
कान ही तो भरे किसी ने थे।
क्यों कहेंगे न, सुन सके; सुन लें।
हम मनायेंगे, आप ऐंठे हैं।
हम सकें मूँद मुँह भला कैसे।
आप तो कान मूँद बैठे हैं।
आप तूमार बाँध देते हैं।
और हम ने न खोल मुँह पाया।
हो न जावें तमाम हम कैसे।
आपका गाल तमतमा आया।
आप ही जब कि तन गये मुझ से।
तब भला किस तरह भवें न तनें।
जब हुईं लाल लाल आँखें तब।
गाल कैसे न लाल लाल बनें।
भेद कितने बिन खुले ही रह गये।
आज तक भी आप ने खोले नहीं।
आप का मुँह ताकते ही रह गये।
आप तो मुँह भर कभी बोले नहीं।
किस तरह से दूसरे मीठे बने।
और हम कैसे बने तीते रहे।
आप मुँह से बोल तक सकते नहीं।
आप का मुँह देख हम जीते रहे।
हैं हमीं ऐसे कि जिस को हर घड़ी।
निज सगों का ही बना खटका रहा।
लख लटूरे बाल को जी लट गया।
लट लटकती देख मुँह लटका रहा।
आँख से क्या निकल पड़े आँसू।
मैल जी का सहल नहीं धुलना।
आप मुँह देख जीभ ले ही लें।
है बहुत ही मुहाल मुँह खुलना।
बढ़ गये पर बुरे बखेड़ों के।
बैर का पाँव गाड़ना देखा।
हो गये पर बिगाड़ बिगड़े का।
मुँह बिगड़ना बिगाड़ना देखा।
वह उतर कर चढ़ा रहा चित पर।
रंग लाया पसीज पड़ कर भी।
बन गई बात बिन बनाये ही।
रंग मुँह का बना बिगड़ कर भी।
कारनामा वह बहुत आला रहा।
आप की करतूत है भोंड़ी बड़ी।
मुँह दिया था दैव ने ही तो बना।
आप को क्या मुँह बनाने की पड़ी।
क्यों न सब दिन मुँह चुराते वे रहें।
चोर को देती चिन्हा हैं चोरियाँ।
हैं बड़ी कमजोरियाँ उन में भरी।
देख लीं मुँहजोर की मुँहजोरियाँ।
बात वह भी लगी बहुत खलने।
आप को जो न थी कभी खलती।
अब लगे आप मुँह चलाने क्यों।
जीभ तो कम नहीं रही चलती।
इस तरह का बना कलेजा है।
जो कि सारी मुसीबतें सह ले।
बेधड़क आग मुँह उगल लेवे।
जीभ बातें गरम गरम कह ले।
आप साहस बँधाइये मुझ को।
क्या करेंगी भली बुरी घातें।
देखिये दब न जाय जी मेरा।
सुन दबी जीभ की दबी बातें।
जब कि नीरस बात मुँह पर आ गई।
किस तरह रस-धार तब जी में बहे।
छरछराहट जब कलेजे में हुई।
मुसकुराहट होठ पर कैसे रहे।
प्यार का कुम्हला गया मुखड़ा खिला।
पड़ गये अरमान पर रस के घड़े।
मैल कितना ही निकल पल में गया।
खोल कर दिल खिलखिलाकर हँस पड़े।
आँख कैसे न तब बहा करती।
आँख ही आँख जब गड़ाती है।
किस तरह तब हँसी न छिन जाती।
जब हँसी ही हँसी उड़ाती है।
दिल छिलेंगे कभी न क्या उन के।
क्या पड़ेंगे न जीभ पर छाले।
बेतरह छिल गये कलेजे को।
छील लें बात छीलने वाले।
सामना जब बदसलूकी का हुआ।
तब बिचारी बूझ जाती दब न क्यों।
बान ही जब है उलझने की पड़ी।
बात कह उलझी उलझते तब न क्यों।
दिल भला किस तरह न जाता हिल।
जब कपट से न ठीक ठीक पटी।
जीभ कैसे न लटपटा जाती।
बात कहते हुए लगी लिपटी।
बान जिन की पड़ी बहकने की।
मानते वे नहीं बिना बहके।
बेतुकापन नहीं दिखाते कब।
बेतुके बात बेतुकी कह के।
जब सुलझना उन्हें नहीं आता।
तब गिरह खोल किस तरह सुलझें।
चाल का जाल जब बिछाते हैं।
तब न क्यों बात बात में उलझें।
लूटते हैं फँसा लपेटों में।
बेतरह हैं कभी कभी ठगते।
कब नहीं बूझ से गये तोले।
हैं बतोले बहुत बुरे लगते।
जो किसी चित से नहीं पाती उतर।
दे बना बेचैन वह मूरत नहीं।
अनबनों में पड़ न आँखों में गड़े।
देखिये बिगड़े बनी सूरत नहीं।
सब तरह के लाभ की बातें सुना।
रुचि बहुत ही आज बहलाई गई।
किस तरह देखे बिना सूरत जियें।
वह हमें सूरत न बतलाई गई।
भौंह सीधी, हँसी बहुत सादी।
औ सरलपन भरी हुई बोली।
हम भला भूल किस तरह देवें।
भूलती हैं न सूरतें भोली।
लालसा है रस बरसती ही रहे।
पर तुमारी आँख रिस से लाल है।
यह चमेली है खिलाना आग में।
यह हथेली पर जमाना बाल है।
प्यारे का प्याला नहीं हम भर सके।
भर सको तो अब उसे भर लो तुम्हीं।
हम तुम्हें तो ले न मूठी में सके।
मूठियों में अब हमें कर लो तुम्हीं।
गुदगुदायें औ रिझायें रीझ कर।
बात मीठी बोल कर मन मोल लें।
दूसरा तो खोल सकता ही नहीं।
खोलना हो आप मूठी खोल लें।
काम कब तक भला बनावट दे।
रीझ कब तक भला रहे रूठी।
बोलते बोलते गये खुल हम।
खोलते खोलते खुली मूठी।
हम बलायें आप की हैं ले रहे।
और हम पर आप लाते हैं बला।
चाल चलने से कभी चूके नहीं।
चाह है तो लो तमाचे भी चला।
यह सताने में सहमता ही नहीं।
सब सुखों के हैं हमें लाले पड़े।
सुन गँसीली बात हाथों के मले।
छिल गया दिल, हाथ में छाले पड़े।
मत बचन-बान मार बीर बनें।
क्या नहीं प्यार प्यार-थाती में।
छेद लें छेदने चले हैं तो।
देखिये हो न छेद छाती में।
आप के जैसा जिसे हीरा मिले।
क्यों मरे वह चाट हीरे की कनी।
आप तन करके हमें तन बिन न दें।
जो तनी है तो रहे छाती तनी।
जब कभी बात तर कही न गई।
हो सके किस तरह कलेजा तर।
देखना हो अगर दहल दिल की।
देखिये हाथ रखकर कलेजे पर।
किस तरह प्यार कर सकें उन को।
जो चुभे बार बार नेजे से।
दुख कलेजा गया जिन्हें देखे।
क्यों लगायें उन्हें कलेजे से।
बेतरह रोब गाँठते ही थे।
अब गया मौत को सहेजा क्यों।
आँख तो आप काढ़ते ही थे।
अब लगे काढ़ने कलेजा क्यों।
किस तरह रीझता रिझाये वह।
जब किये प्यार खीज खीजा ही।
किस तरह तब पसीजता कोई।
जब कलेजा नहीं पसीजा ही।
है बड़े बेपीर से पाला पड़ा।
भाग में सुख है न दुखियों के लिखा।
जो कलेजा देख दुख पिघला नहीं।
तो कलेजा काढ़ कैसे दें दिखा।
प्यार ही से भरा हुआ वह है।
देख लें देख वे सकें जैसे।
जब निकलती नहीं कसर जी की।
हम कलेजा निकाल दें कैसे।
ताड़ने वाले नहीं कब ताड़ते।
तोड़ना है दिल अगर तो तोड़ लो।
मुँह चिढ़ा लो मोड़ लो मुँह बक बहँक।
फोड़ लो दिल के फफोले फोड़ लो।
वे चुहल के चाव के पुतले बने।
चोचलों का रंग है पहचानते।
चाल चखना, चौंकना, जाना मचल।
दिल चलाना दिलजले हैं जानते।
वह भला है, है भलाई से भरा।
या घिनौने भाव हैं उस में घुसे।
खोल कर हम दिल दिखायें किस तरह।
देख लें दिल देखने वाले उसे।
देखने दें मूँद आँखों को न दें।
हिल गये क्यों, जो गई है जीभ हिल।
आप छन भर सोचने देवें हमें।
सब गया छिन, अब न लेवें छीन दिल।
कुछ नहीं रंग ढंग मिल पाता।
हिल गया वह, कभी गया वह खिल।
क्या भला खीज कर किया दिल ने।
क्या करेगा पसीज करके दिल।
क्यों हँसी मेरी उड़ाती है हँसी।
बात रंगत में चुहल की क्यों ढली।
किस लिए दिल काटने चुटकी लगा।
आप ने चुटकी अगर दिल में न ली।
प्यार तो हम किया करेंगे ही।
बारहा क्यों न जाय दिल फेरा।
दिलजले हम बने रहेंगे ही।
क्यों न हो दिल दलेल में मेरा।
प्यार जब चाहते नहीं करना।
क्यों न सुन नाम प्यार का काँखें।
रंग बदला, बदल गये तेवर।
दिल बदलते बदल गईं आँखें।
कर सके तो कर दिखाये प्यार ही।
वह सितम के खोज ले हीले नहीं।
ले भले ही ले दुखाये दिल नहीं।
छीन ले दिलदार दिल छीले नहीं।
है कलह तोर मोर का पुतला।
है कपट का उसे मिला ठीका।
है भरी पोर पोर कोर कसर।
वह बड़ा ही कठोर है जी का।
हम नहीं आँखें लड़ाना चाहते।
हैं लड़ाकी आप की आँखें लड़ें।
आप जी में जल रहे हैं तो जलें।
क्यों फफोले और के जी में पड़ें।
अब न आँसू आँख में मेरी रहा।
आप ने आँखें उठा ताका नहीं।
क्यों पके जी का मरम वह, पा सके।
हो गया जिसका कि जी पाका नहीं।
थीं पसंद बनाव की बातें हमें।
अलबनों का तुम गला रेते रहे।
कब रहे लेते हमारा जी न तुम।
हम तुम्हें कब जी नहीं देते रहे।
बात पर आन बान वालों की।
आप क्यों कान दे नहीं सकते।
तो गँवा मान और क्या माँगें।
जी अगर दान दे नहीं सकते।
बे ठने उस से रहेगी किस तरह।
जो कि उठते बैठते है ऐंठता।
बात क्यों उस से बिठाये बैठती।
फेर करके पीठ जो है बैठता।
आप के हाथ ही बिके हम हैं।
रुचि रही कब न आप की चेरी।
है अगर चाह भाँप लेने की।
आप तो पीठ नाप लें मेरी।
अड़ गये अपनी जगह पर गड़ गये।
देख लो तुम टाल टलते ही नहीं।
हम न मचले हैं चलें तो क्यों चलें।
ऐ हमारे पाँव चलते ही नहीं।