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"हमारी देवियाँ / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर

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जाति की, वु+ल की, धारम की, लाजकी।
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बेतरह ये ले रही हैं फबतियाँ।
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हैं लगाती ठोकरें मरजाद को।
 
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देवियाँ हैं याकि ये हैं बीबियाँ।
  
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हम उन्हें तब देवियाँ कैसे कहें।
 
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बेतरह परिवार से जब तन गईं।
 
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बीबिआना ठाट है बतला रहा।
 
बीबिआना ठाट है बतला रहा।
 
 
आज दिन वे बीबियाँ हैं बन गईं।
 
आज दिन वे बीबियाँ हैं बन गईं।
  
 
चूस करके सब सलूकों का लहू।
 
चूस करके सब सलूकों का लहू।
 
 
नेह-साँसें चाव से गिनने लगीं।
 
नेह-साँसें चाव से गिनने लगीं।
 
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तब भला न मसान घर कैसे बने।
तब भला न मसान घर वै+से बने।
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डायनें जब देवियाँ बनने लगीं।
 
डायनें जब देवियाँ बनने लगीं।
  
 
क्या न है फेर यह समय का ही।
 
क्या न है फेर यह समय का ही।
 
 
देवियाँ जाँय जो चुड़ैलें बन।
 
देवियाँ जाँय जो चुड़ैलें बन।
 
 
नाम के साथ वे लिखें देवी।
 
नाम के साथ वे लिखें देवी।
 
 
जो रखें नाम को न देवीपन।
 
जो रखें नाम को न देवीपन।
  
 
सब घरों को दें सरग जैसा बना।
 
सब घरों को दें सरग जैसा बना।
 
 
लाल प्यारे देवतों जैसा जनें।
 
लाल प्यारे देवतों जैसा जनें।
 
 
अब रहे ऐसे हमारे दिन कहाँ।
 
अब रहे ऐसे हमारे दिन कहाँ।
 
 
देवियाँ जो देवियाँ सचमुच बनें।
 
देवियाँ जो देवियाँ सचमुच बनें।
 
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19:35, 23 मार्च 2014 के समय का अवतरण

जाति की, कुल की, धरम की, लाज की।
बेतरह ये ले रही हैं फबतियाँ।
हैं लगाती ठोकरें मरजाद को।
देवियाँ हैं याकि ये हैं बीबियाँ।

हम उन्हें तब देवियाँ कैसे कहें।
बेतरह परिवार से जब तन गईं।
बीबिआना ठाट है बतला रहा।
आज दिन वे बीबियाँ हैं बन गईं।

चूस करके सब सलूकों का लहू।
नेह-साँसें चाव से गिनने लगीं।
तब भला न मसान घर कैसे बने।
डायनें जब देवियाँ बनने लगीं।

क्या न है फेर यह समय का ही।
देवियाँ जाँय जो चुड़ैलें बन।
नाम के साथ वे लिखें देवी।
जो रखें नाम को न देवीपन।

सब घरों को दें सरग जैसा बना।
लाल प्यारे देवतों जैसा जनें।
अब रहे ऐसे हमारे दिन कहाँ।
देवियाँ जो देवियाँ सचमुच बनें।