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− | + | क्या किसी खोह में पड़ी पा कर। | |
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लड़कियाँ लोग हैं उठा लाते। | लड़कियाँ लोग हैं उठा लाते। | ||
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जो बड़े ही कपूत लड़कों से। | जो बड़े ही कपूत लड़कों से। | ||
− | + | हैं तिलक बेधड़क चढ़ा आते। | |
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हैं न भलमंसियाँ जिन्हें प्यारी। | हैं न भलमंसियाँ जिन्हें प्यारी। | ||
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है जिन्हें रूपचन्द से नाता। | है जिन्हें रूपचन्द से नाता। | ||
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जब न मुट्ठी गरम हुई उन की। | जब न मुट्ठी गरम हुई उन की। | ||
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क्यों भला तब तिलक न फिर आता। | क्यों भला तब तिलक न फिर आता। | ||
नीचपन, नंगपन, निठूरपन का। | नीचपन, नंगपन, निठूरपन का। | ||
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है जिन्होंने कि ले लिया ठीका। | है जिन्होंने कि ले लिया ठीका। | ||
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न्योत करके बिपद बुलाते हैं। | न्योत करके बिपद बुलाते हैं। | ||
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लोग उनके यहाँ पठा टीका। | लोग उनके यहाँ पठा टीका। | ||
लोग इतने गिरे जहाँ के हैं। | लोग इतने गिरे जहाँ के हैं। | ||
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कौड़ियों तक सहेज घर भेजा। | कौड़ियों तक सहेज घर भेजा। | ||
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पिस गईं लड़कियाँ जहाँ जा कर। | पिस गईं लड़कियाँ जहाँ जा कर। | ||
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हैं वहाँ भेजना तिलक बेजा। | हैं वहाँ भेजना तिलक बेजा। | ||
पास जिन के नहीं कलेजा है। | पास जिन के नहीं कलेजा है। | ||
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बेटियाँ बेंच जो अघाते हैं। | बेटियाँ बेंच जो अघाते हैं। | ||
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वे लगा कर कलंक का टीका। | वे लगा कर कलंक का टीका। | ||
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मोल टीका बहुत लगाते हैं। | मोल टीका बहुत लगाते हैं। | ||
क्या सयानी हुई नहीं लड़की। | क्या सयानी हुई नहीं लड़की। | ||
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लाख फटकार ऐसे कच्चे को। | लाख फटकार ऐसे कच्चे को। | ||
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आप वह बन गया निरा बच्चा। | आप वह बन गया निरा बच्चा। | ||
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दे तिलक आज एक बच्चे को। | दे तिलक आज एक बच्चे को। | ||
जो भली राह पर चला न सके। | जो भली राह पर चला न सके। | ||
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तो बुरी राह भी न बतलाये। | तो बुरी राह भी न बतलाये। | ||
− | + | हो तिलक एक नामवर कुल के। | |
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क्या तिलक लंठ के यहाँ लाये। | क्या तिलक लंठ के यहाँ लाये। | ||
लड़कियाँ बोल जो नहीं सकतीं। | लड़कियाँ बोल जो नहीं सकतीं। | ||
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तो बला में उन्हें फँसायें क्यों। | तो बला में उन्हें फँसायें क्यों। | ||
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भेज करके बुरी जगह टीका। | भेज करके बुरी जगह टीका। | ||
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हम उन्हें धूल में मिलायें क्यों। | हम उन्हें धूल में मिलायें क्यों। | ||
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20:00, 23 मार्च 2014 के समय का अवतरण
क्या किसी खोह में पड़ी पा कर।
लड़कियाँ लोग हैं उठा लाते।
जो बड़े ही कपूत लड़कों से।
हैं तिलक बेधड़क चढ़ा आते।
हैं न भलमंसियाँ जिन्हें प्यारी।
है जिन्हें रूपचन्द से नाता।
जब न मुट्ठी गरम हुई उन की।
क्यों भला तब तिलक न फिर आता।
नीचपन, नंगपन, निठूरपन का।
है जिन्होंने कि ले लिया ठीका।
न्योत करके बिपद बुलाते हैं।
लोग उनके यहाँ पठा टीका।
लोग इतने गिरे जहाँ के हैं।
कौड़ियों तक सहेज घर भेजा।
पिस गईं लड़कियाँ जहाँ जा कर।
हैं वहाँ भेजना तिलक बेजा।
पास जिन के नहीं कलेजा है।
बेटियाँ बेंच जो अघाते हैं।
वे लगा कर कलंक का टीका।
मोल टीका बहुत लगाते हैं।
क्या सयानी हुई नहीं लड़की।
लाख फटकार ऐसे कच्चे को।
आप वह बन गया निरा बच्चा।
दे तिलक आज एक बच्चे को।
जो भली राह पर चला न सके।
तो बुरी राह भी न बतलाये।
हो तिलक एक नामवर कुल के।
क्या तिलक लंठ के यहाँ लाये।
लड़कियाँ बोल जो नहीं सकतीं।
तो बला में उन्हें फँसायें क्यों।
भेज करके बुरी जगह टीका।
हम उन्हें धूल में मिलायें क्यों।