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"आँसू / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर
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क्यों सगों पर निढाल होते हो। | क्यों सगों पर निढाल होते हो। | ||
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दो गला, आग के बगूलों को। | दो गला, आग के बगूलों को। | ||
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आँसुओं गाल क्यों भिंगोते हो। | आँसुओं गाल क्यों भिंगोते हो। | ||
आँसुओ! और को दिखा नीचा। | आँसुओ! और को दिखा नीचा। | ||
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लोग पूजे कभी न जाते थे। | लोग पूजे कभी न जाते थे। | ||
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क्यों गँवाते न तुम भरम उन का। | क्यों गँवाते न तुम भरम उन का। | ||
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जो तुम्हें आँख से गिराते थे। | जो तुम्हें आँख से गिराते थे। | ||
हो बहुत सुथरे बिमल जलबूँद से। | हो बहुत सुथरे बिमल जलबूँद से। | ||
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मत बदल कर रंग काजल में सनो। | मत बदल कर रंग काजल में सनो। | ||
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पा निराले मोतियों की सी दमक। | पा निराले मोतियों की सी दमक। | ||
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आँसुओ! काले-कलूटे मत बनो। | आँसुओ! काले-कलूटे मत बनो। | ||
था भला आँसुओ! वही सहते। | था भला आँसुओ! वही सहते। | ||
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जो भली राह में पड़े सहना। | जो भली राह में पड़े सहना। | ||
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चाहिए था कि आँख से बहते। | चाहिए था कि आँख से बहते। | ||
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है बुरी बात नाक से बहना। | है बुरी बात नाक से बहना। | ||
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09:52, 19 मार्च 2014 के समय का अवतरण
तुम पड़ो टूट लूटलेतों पर।
क्यों सगों पर निढाल होते हो।
दो गला, आग के बगूलों को।
आँसुओं गाल क्यों भिंगोते हो।
आँसुओ! और को दिखा नीचा।
लोग पूजे कभी न जाते थे।
क्यों गँवाते न तुम भरम उन का।
जो तुम्हें आँख से गिराते थे।
हो बहुत सुथरे बिमल जलबूँद से।
मत बदल कर रंग काजल में सनो।
पा निराले मोतियों की सी दमक।
आँसुओ! काले-कलूटे मत बनो।
था भला आँसुओ! वही सहते।
जो भली राह में पड़े सहना।
चाहिए था कि आँख से बहते।
है बुरी बात नाक से बहना।