Last modified on 12 अक्टूबर 2009, at 23:49

"मनाली मत जइयो / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

(हिज्जे)
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
 
|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
 
}}  
 
}}  
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
मनाली मत जइयो, गोरी
 +
राजा के राज में। 
  
मनाली मत जइयो, गोरी<br>
+
जइयो तो जइयो,
राजा के राज में।<br><br>
+
उड़िके मत जइयो,  
 +
अधर में लटकीहौ,
 +
वायुदूत के जहाज़ में।
  
जइयो तो जइयो,<br>
+
जइयो तो जइयो,  
उड़िके मत जइयो,<br>
+
सन्देसा न पइयो,  
अधर में लटकीहौ,<br>
+
टेलिफोन बिगड़े हैं,  
वायुदूत के जहाज में।<br><br>
+
मिर्धा महाराज में।
  
जइयो तो जइयो,<br>
+
जइयो तो जइयो,  
सन्देसा न पइयो,<br>
+
मशाल ले के जइयो,  
टेलिफोन बिगड़े हैं,<br>
+
बिजुरी भइ बैरिन
मिर्धा महाराज में।<br><br>
+
अंधेरिया रात में।
  
जइयो तो जइयो,<br>
+
जइयो तो जइयो,  
मशाल ले के जइयो,<br>
+
त्रिशूल बांध जइयो,  
बिजुरी भइ बैरिन<br>
+
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,
अंधेरिया रात में।<br><br>
+
राजीव के राज में।
  
जइयो तो जइयो,<br>
+
मनाली तो जइहो।  
त्रिशूल बांध जइयो,<br>
+
सुरग सुख पइहों।  
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,<br>
+
दुख नीको लागे, मोहे  
राजीव के राज में।<br><br>
+
 
+
मनाली तो जइहो।<br>
+
सुरग सुख पइहों।<br>
+
दुख नीको लागे, मोहे<br>
+
 
राजा के राज में।
 
राजा के राज में।
 +
</poem>

23:49, 12 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

मनाली मत जइयो, गोरी
राजा के राज में।

जइयो तो जइयो,
उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,
वायुदूत के जहाज़ में।

जइयो तो जइयो,
सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,
मिर्धा महाराज में।

जइयो तो जइयो,
मशाल ले के जइयो,
बिजुरी भइ बैरिन
अंधेरिया रात में।

जइयो तो जइयो,
त्रिशूल बांध जइयो,
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,
राजीव के राज में।

मनाली तो जइहो।
सुरग सुख पइहों।
दुख नीको लागे, मोहे
राजा के राज में।