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काँच के ऊपर इतनी धूल जमने के बाद भी
चमक ज्यों की त्यों बनी रही काँच पर
 
अपनी धूल झाड़ने के बाद भी मैं रद्दी हो गया।
चुपचाप मैं कोशिश करने लगा बनने की फूल
काँच, मुर्गा और शब्द वगैरह : कोई मरी हुई
चीज़ ताज़ी ; आज़ाद रहे बहुत दैर देर तक 
रहे बहुत देर तक मरने के बाद भी ।
</poem>
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