Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
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इस तन्हाई में फकीरे | इस तन्हाई में फकीरे | ||
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दिन बीते धीरे-धीरे | दिन बीते धीरे-धीरे | ||
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:::यहाँ सागर की राहों में | :::यहाँ सागर की राहों में | ||
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कभी नभ में छाते बादल | कभी नभ में छाते बादल | ||
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बजते ज्यूँ बजता मादल | बजते ज्यूँ बजता मादल | ||
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:::मन हर्षित होते घटाओं के | :::मन हर्षित होते घटाओं के | ||
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सागर का खारा पानी | सागर का खारा पानी | ||
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धूप से हो जाता धानी | धूप से हो जाता धानी | ||
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:::रंग लहके पीत छटाओं के | :::रंग लहके पीत छटाओं के | ||
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जब याद घर की आती | जब याद घर की आती | ||
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मन को बेहद भरमाती | मन को बेहद भरमाती | ||
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:::स्वर आकुल होते चाहों के | :::स्वर आकुल होते चाहों के | ||
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बस श्वेत-सलेटी पाखी | बस श्वेत-सलेटी पाखी | ||
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जब उड़ दे जाते झाँकी | जब उड़ दे जाते झाँकी | ||
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:::मलहम लगती कुछ आहों पे | :::मलहम लगती कुछ आहों पे | ||
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22:02, 7 मई 2010 के समय का अवतरण
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इस तन्हाई में फकीरे
दिन बीते धीरे-धीरे
यहाँ सागर की राहों में
कभी नभ में छाते बादल
बजते ज्यूँ बजता मादल
मन हर्षित होते घटाओं के
सागर का खारा पानी
धूप से हो जाता धानी
रंग लहके पीत छटाओं के
जब याद घर की आती
मन को बेहद भरमाती
स्वर आकुल होते चाहों के
बस श्वेत-सलेटी पाखी
जब उड़ दे जाते झाँकी
मलहम लगती कुछ आहों पे