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"तेरा चेहरा / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

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धवल स्तूप से घर खड़े थे, चमक रही थी रात
 
धवल स्तूप से घर खड़े थे, चमक रही थी रात
 
 
पिरिदेलकिना स्टेशन पे था मुझे गाड़ी का इन्तज़ार
 
पिरिदेलकिना स्टेशन पे था मुझे गाड़ी का इन्तज़ार
 
 
श्वेत पंखों-सा हिम झरे था, कोहरा था अपार
 
श्वेत पंखों-सा हिम झरे था, कोहरा था अपार
 
  
 
कोहरे में भी मुझे दीख पड़ा, तेरा चारु-लोचन भाल
 
कोहरे में भी मुझे दीख पड़ा, तेरा चारु-लोचन भाल
 
 
तन्वंगी काया झलके थी, पीन-पयोधर थे उत्ताल
 
तन्वंगी काया झलके थी, पीन-पयोधर थे उत्ताल
 
 
खिला हुआ था तेरा चेहरा जैसे चन्द्र अकास
 
खिला हुआ था तेरा चेहरा जैसे चन्द्र अकास
 
 
याद मुझे है, प्रिया, तेरे मुखड़े का वह उजास
 
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21:45, 7 मई 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  तेरा चेहरा

शरदकाल का दिन था पहला, पहला था हिमपात
धवल स्तूप से घर खड़े थे, चमक रही थी रात
पिरिदेलकिना स्टेशन पे था मुझे गाड़ी का इन्तज़ार
श्वेत पंखों-सा हिम झरे था, कोहरा था अपार

कोहरे में भी मुझे दीख पड़ा, तेरा चारु-लोचन भाल
तन्वंगी काया झलके थी, पीन-पयोधर थे उत्ताल
खिला हुआ था तेरा चेहरा जैसे चन्द्र अकास
याद मुझे है, प्रिया, तेरे मुखड़े का वह उजास