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"मैं ने क्या किया / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

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मैंने क्या किया
 
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किस तरह मैंने, भला
 
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यह जीवन जिया
 
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कभी सागर को जाना
 
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कभी गगन को पहचाना
 
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कभी भूगर्भ ही बना मेरा ठिकाना
 
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कभी पीड़ा से लड़ा मैं
 
कभी पीड़ा से लड़ा मैं
 
 
कभी कष्टॊं से भिड़ा मैं
 
कभी कष्टॊं से भिड़ा मैं
 
 
दुख साथ रहे बचपन से
 
दुख साथ रहे बचपन से
 
 
रहा समक्ष मौत के खड़ा मैं
 
रहा समक्ष मौत के खड़ा मैं
 
  
 
कभी रहा रचना का जोश
 
कभी रहा रचना का जोश
 
 
कभी घृणा में खो दिया होश
 
कभी घृणा में खो दिया होश
 
 
पर दिया सदा दोस्त का साथ
 
पर दिया सदा दोस्त का साथ
 
 
और किया प्रेम में विश्वास
 
और किया प्रेम में विश्वास
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21:34, 7 मई 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  मैं ने क्या किया

मैंने क्या किया
किस तरह मैंने, भला
यह जीवन जिया

कभी सागर को जाना
कभी गगन को पहचाना
कभी भूगर्भ ही बना मेरा ठिकाना

कभी पीड़ा से लड़ा मैं
कभी कष्टॊं से भिड़ा मैं
दुख साथ रहे बचपन से
रहा समक्ष मौत के खड़ा मैं

कभी रहा रचना का जोश
कभी घृणा में खो दिया होश
पर दिया सदा दोस्त का साथ
और किया प्रेम में विश्वास