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"नववर्ष की पूर्वसंध्या पर / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

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मार-काट मची हुई देश में, तबाही का है हाल
 
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हिमपात हो रहा है भयंकर, आ रहा नया साल
 
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यहाँ जारी इस बदलाव से, लोग बहुत परेशान
 
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पर हर पल हो रहा हमें, बढ़ते प्रकाश का भान
परहर पल हो रहा हमें, बढ़ते प्रकाश का भान
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गरम हवा जब से चली, पिघले जीवन की बर्फ़
 
गरम हवा जब से चली, पिघले जीवन की बर्फ़
 
 
चेहरों पर झलके हँसी, ख़त्म हो रहा नर्क
 
चेहरों पर झलके हँसी, ख़त्म हो रहा नर्क
 
  
 
देश में फिर शुरू हुआ है, नई करवट का दौर
 
देश में फिर शुरू हुआ है, नई करवट का दौर
 
 
छोड़ दी हमने भूल-भुलैया, अब खोजें नया ठौर
 
छोड़ दी हमने भूल-भुलैया, अब खोजें नया ठौर
 
  
 
याद हमें दिला रही है, रूसी माँ धरती यह बात
 
याद हमें दिला रही है, रूसी माँ धरती यह बात
 
 
नहीं, डरने की नहीं ज़रूरत, होगा शुभ-प्रभात
 
नहीं, डरने की नहीं ज़रूरत, होगा शुभ-प्रभात
  
  
रचनाकाल : 31.12.1992
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'''रचनाकाल : 31.12.1992'''
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21:42, 7 मई 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  नववर्ष की पूर्वसंध्या पर

मार-काट मची हुई देश में, तबाही का है हाल
हिमपात हो रहा है भयंकर, आ रहा नया साल

यहाँ जारी इस बदलाव से, लोग बहुत परेशान
पर हर पल हो रहा हमें, बढ़ते प्रकाश का भान

गरम हवा जब से चली, पिघले जीवन की बर्फ़
चेहरों पर झलके हँसी, ख़त्म हो रहा नर्क

देश में फिर शुरू हुआ है, नई करवट का दौर
छोड़ दी हमने भूल-भुलैया, अब खोजें नया ठौर

याद हमें दिला रही है, रूसी माँ धरती यह बात
नहीं, डरने की नहीं ज़रूरत, होगा शुभ-प्रभात


रचनाकाल : 31.12.1992