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"ईसुरी की फाग-8 / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

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ऎंगर बैठ लेओ कछु काने, काम जनम भर रानें
 
ऎंगर बैठ लेओ कछु काने, काम जनम भर रानें
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ई धंधे के बीच 'ईसुरी' करत-करत मर जानें ।
 
ई धंधे के बीच 'ईसुरी' करत-करत मर जानें ।
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''' भावार्थ'''<br><br>
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पास बैठ जाओ कुछ कहना है, काम तो जिंदगी भर रहेगा
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सभी को ये काम लगा रहता है जब तक वोह जिन्दा रहता है, ये काम कभी ख़त्म नहीं होगा
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काम थोड़ी देर रुक कर, कर लेना, कुछ बिगड़ नहीं जायेगा
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ईसुरी कहते है कि इस काम को कर कर के मर जायेंगे ।

08:51, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ऎंगर बैठ लेओ कछु काने, काम जनम भर रानें

सबखाँ लागौ रात जियत भर, जौ नइँ कभऊँ बड़ानें

करियो काम घरी भर रै कैं,बिगर कछु नइँ जानें

ई धंधे के बीच 'ईसुरी' करत-करत मर जानें ।


भावार्थ


पास बैठ जाओ कुछ कहना है, काम तो जिंदगी भर रहेगा सभी को ये काम लगा रहता है जब तक वोह जिन्दा रहता है, ये काम कभी ख़त्म नहीं होगा काम थोड़ी देर रुक कर, कर लेना, कुछ बिगड़ नहीं जायेगा ईसुरी कहते है कि इस काम को कर कर के मर जायेंगे ।