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06:42, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
सबद
-थारो कै म्हारो
न्यारो-न्यारो को हुवै नीं अरथ
पण आप तो लगा दीवी बीज तांई सरत
अबै संभाळता फिरो भांत-भांतीली पोथ्यां
मिलज्यै तत् आपनैं जे सोध्यां
तो भलांई आरती उतारो
-पण साच ना मारो
सबद :
-थारो कै म्हारो।