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"समाचार है अद्भुत / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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<poem> | <poem> | ||
− | समाचार | + | समाचार है अद्भुत |
− | अद्भुत | + | जीवन का |
− | जीवन | + | |
अब बर्बादी | अब बर्बादी | ||
करे मुनादी | करे मुनादी | ||
संसाधन सीमित | संसाधन सीमित | ||
− | + | सड़े भले सब | |
− | + | किन्तु करेगा | |
बंदर ही वितरित | बंदर ही वितरित | ||
− | नियम | + | नियम अनूठा है |
− | + | मानव-वन का | |
− | मानव-वन | + | |
प्रेम-रोग अब | प्रेम-रोग अब | ||
लाइलाज | लाइलाज | ||
किंचित भी नहीं रहा | किंचित भी नहीं रहा | ||
− | + | नये नशे ने | |
आगे बढ़कर | आगे बढ़कर | ||
सबका दर्द सहा | सबका दर्द सहा | ||
− | रंग | + | रंग बदलता |
− | पल पल | + | पल-पल तन-मन का |
− | तन मन | + | |
धन की नौकर | धन की नौकर | ||
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देखो हुई धनी | देखो हुई धनी | ||
− | बदल | + | बदल रहा |
− | आदर्श | + | आदर्श लड़कपन का |
− | लड़कपन | + | |
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09:50, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
समाचार है अद्भुत
जीवन का
अब बर्बादी
करे मुनादी
संसाधन सीमित
सड़े भले सब
किन्तु करेगा
बंदर ही वितरित
नियम अनूठा है
मानव-वन का
प्रेम-रोग अब
लाइलाज
किंचित भी नहीं रहा
नये नशे ने
आगे बढ़कर
सबका दर्द सहा
रंग बदलता
पल-पल तन-मन का
धन की नौकर
निज इच्छा से
अब है बुद्धि बनी
कर्म राम के
लेकिन लंका
देखो हुई धनी
बदल रहा
आदर्श लड़कपन का