"साओन / यात्री" के अवतरणों में अंतर
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१ | १ | ||
परतीक कोँढ़ - करेज जुड़ाएल | परतीक कोँढ़ - करेज जुड़ाएल | ||
− | बाध - बोन हरिअर | + | बाध - बोन हरिअर भऽ गेल |
प्रकृति - नटि केर अंग अंग मेँ | प्रकृति - नटि केर अंग अंग मेँ | ||
− | महाकाल टेमी | + | महाकाल टेमी दऽ देल |
− | सर-सरिताकेँ भरल | + | सर-सरिताकेँ भरल देखिकए |
बिजुलत्ताकेँ सुझलइ खेल | बिजुलत्ताकेँ सुझलइ खेल | ||
बँसबारिक भगजोगनीं सभसँ | बँसबारिक भगजोगनीं सभसँ | ||
ओ धोछिया कए लेलक मेल | ओ धोछिया कए लेलक मेल | ||
− | तामस उठलन्हि | + | तामस उठलन्हि मेघराजकेँ |
ठनका ठनकल डाँटक लेल | ठनका ठनकल डाँटक लेल | ||
डूबल रहइ दोबगली लाइन | डूबल रहइ दोबगली लाइन | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
धरतीक कोंढ़ करेज जुड़ाएल | धरतीक कोंढ़ करेज जुड़ाएल | ||
बाध-बोन हरिअह भ’गेल। | बाध-बोन हरिअह भ’गेल। | ||
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२ | २ | ||
भीजल - तीतल, ध्वैल - नहाएल | भीजल - तीतल, ध्वैल - नहाएल | ||
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अनका लेखेँ मजगर विधुरक | अनका लेखेँ मजगर विधुरक | ||
पिछड़ि - पिछड़ि कँऽखसथु राधिका | पिछड़ि - पिछड़ि कँऽखसथु राधिका | ||
− | कान्ह क लेल | + | कान्ह क लेल हँसाओन मास |
गाइनि लोकनिक हेतु मोदमय | गाइनि लोकनिक हेतु मोदमय | ||
कोहबर महक ओछाओन मास | कोहबर महक ओछाओन मास | ||
पंक्ति 38: | पंक्ति 37: | ||
भीजल - तीतल ध्वैल - नहाएल | भीजल - तीतल ध्वैल - नहाएल | ||
सिमसिमाह ई साओन मास | सिमसिमाह ई साओन मास | ||
− | |||
३ | ३ | ||
− | मोट डारि मेँ | + | मोट डारि मेँ मचकी बान्हल |
झूलो झूलथु नन्दकिशोर | झूलो झूलथु नन्दकिशोर | ||
पलखति भेटन्हु नजरि बचा कएँ | पलखति भेटन्हु नजरि बचा कएँ | ||
पंक्ति 49: | पंक्ति 47: | ||
एक प्राण छथि साँवर - गोर | एक प्राण छथि साँवर - गोर | ||
किए कान्ह ओँधड़ेता भूपर | किए कान्ह ओँधड़ेता भूपर | ||
− | राधा किए | + | राधा किए बहओती नोर |
आनक सुख - सोहाग देखतइ तऽ | आनक सुख - सोहाग देखतइ तऽ | ||
किए हेतइ ककरो मन घोर | किए हेतइ ककरो मन घोर | ||
मोट डारिमेँ मचकी बान्हल | मोट डारिमेँ मचकी बान्हल | ||
झूला झूलथु नन्दकिशोर | झूला झूलथु नन्दकिशोर | ||
− | |||
४ | ४ | ||
− | कान पाथि | + | कान पाथि केँ सुनब पहर भरि |
गावथु प्रौढ़ा लोकनि मलार | गावथु प्रौढ़ा लोकनि मलार | ||
भीजब हम भरि पोख पहर भरि | भीजब हम भरि पोख पहर भरि | ||
− | बदरा | + | बदरा बरसओ मूसलधार |
चोभब राढ़ी आम भदइया | चोभब राढ़ी आम भदइया | ||
शलहेशक हम करब सिङार | शलहेशक हम करब सिङार | ||
− | बिशहराक गहबर ओगरब | + | बिशहराक गहबर ओगरब गऽ |
− | देखब | + | देखब गऽ लाबाक पथार |
सूपक सूप उझिलता अइखन | सूपक सूप उझिलता अइखन | ||
− | पाछाँ बरू | + | पाछाँ बरू भऽ जेता देखार |
बिला जेता भादबमेँ बिलकुल | बिला जेता भादबमेँ बिलकुल | ||
− | + | मेघक लीलो अपरम्पार | |
कान पाथि केँ सुनब पहरभरि | कान पाथि केँ सुनब पहरभरि | ||
गावथु प्रौढ़ा लोकनि मलार | गावथु प्रौढ़ा लोकनि मलार | ||
− | |||
५ | ५ | ||
लोचन-अंजन, जन मन रंजन | लोचन-अंजन, जन मन रंजन |
02:54, 10 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
१
परतीक कोँढ़ - करेज जुड़ाएल
बाध - बोन हरिअर भऽ गेल
प्रकृति - नटि केर अंग अंग मेँ
महाकाल टेमी दऽ देल
सर-सरिताकेँ भरल देखिकए
बिजुलत्ताकेँ सुझलइ खेल
बँसबारिक भगजोगनीं सभसँ
ओ धोछिया कए लेलक मेल
तामस उठलन्हि मेघराजकेँ
ठनका ठनकल डाँटक लेल
डूबल रहइ दोबगली लाइन
कहुना ससरल छोटकी रेल
धरतीक कोंढ़ करेज जुड़ाएल
बाध-बोन हरिअह भ’गेल।
२
भीजल - तीतल, ध्वैल - नहाएल
सिमसिमाह ई साओन मास
कतबो झहरल मेघ तदपि अछि
रिमझिमाह ई साओन मास
अनका लेखेँ मजगर विधुरक
पिछड़ि - पिछड़ि कँऽखसथु राधिका
कान्ह क लेल हँसाओन मास
गाइनि लोकनिक हेतु मोदमय
कोहबर महक ओछाओन मास
तीसो दिन थिक मधुश्रावणी
नवतुरिआक चुमाओन मास
भीजल - तीतल ध्वैल - नहाएल
सिमसिमाह ई साओन मास
३
मोट डारि मेँ मचकी बान्हल
झूलो झूलथु नन्दकिशोर
पलखति भेटन्हु नजरि बचा कएँ
नहू-नहू आवथु चितचोर
तिलक फूल सन रूचिर नासिका
मधुरी फूल जकाँ छन्हि ठोर
दूई देह छन्हि, एक परिस्थिति
एक प्राण छथि साँवर - गोर
किए कान्ह ओँधड़ेता भूपर
राधा किए बहओती नोर
आनक सुख - सोहाग देखतइ तऽ
किए हेतइ ककरो मन घोर
मोट डारिमेँ मचकी बान्हल
झूला झूलथु नन्दकिशोर
४
कान पाथि केँ सुनब पहर भरि
गावथु प्रौढ़ा लोकनि मलार
भीजब हम भरि पोख पहर भरि
बदरा बरसओ मूसलधार
चोभब राढ़ी आम भदइया
शलहेशक हम करब सिङार
बिशहराक गहबर ओगरब गऽ
देखब गऽ लाबाक पथार
सूपक सूप उझिलता अइखन
पाछाँ बरू भऽ जेता देखार
बिला जेता भादबमेँ बिलकुल
मेघक लीलो अपरम्पार
कान पाथि केँ सुनब पहरभरि
गावथु प्रौढ़ा लोकनि मलार
५
लोचन-अंजन, जन मन रंजन
पावस ऋतु केँ करिअ प्रणाम
जनिक कृपासँ, जनिक स्नेहसँ
खेत-खेत कहवए वसुधाम
जनिक प्रतापेँ हरि विश्वंभर,
अन्नपूर्णा देवीक नाम
जनिक दया सँ वृक्ष वनस्पति
जनिक रसेँ फल-फूल ललाम
जनिकर ममतामय अनुशासन
गछने छथि ऋतुराज गुलाम
जनिक ऋणी छथि सातो सागर
जनिक प्रजा थिक सृष्टि तमाम
लोचन-अंजन, जन मन रंजन
पावस ऋतुकेँ करिअ प्रणाम