भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सावन का गीत / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |अनुवादक= |संग्रह= रमेश र...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= रमेश रंजक के बाल गीत / रमेश रंजक | |संग्रह= रमेश रंजक के बाल गीत / रमेश रंजक | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatBaalKavita}} |
<poem> | <poem> | ||
बना आम की गुठली का बाजा | बना आम की गुठली का बाजा | ||
खोल दिया मौसम का दरवाज़ा | खोल दिया मौसम का दरवाज़ा | ||
− | + | अब गली नदी बनेगी । | |
− | + | हमारी नाव चलेगी ।। | |
धरती पर लहराएगा पानी | धरती पर लहराएगा पानी | ||
हवा करेगी अपनी मनमानी | हवा करेगी अपनी मनमानी | ||
− | + | कहीं बिजली चमकेगी । | |
− | + | हमारी नाव चलेगी ।। | |
गीत उठेंगे अँगड़ाई लेकर | गीत उठेंगे अँगड़ाई लेकर | ||
पतनाले बोलेंगे छरर-छरर | पतनाले बोलेंगे छरर-छरर | ||
− | + | धरा की प्यास बुझेगी । | |
− | + | हमारी नाव चलेगी ।। | |
</poem> | </poem> |
11:04, 19 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
बना आम की गुठली का बाजा
खोल दिया मौसम का दरवाज़ा
अब गली नदी बनेगी ।
हमारी नाव चलेगी ।।
धरती पर लहराएगा पानी
हवा करेगी अपनी मनमानी
कहीं बिजली चमकेगी ।
हमारी नाव चलेगी ।।
गीत उठेंगे अँगड़ाई लेकर
पतनाले बोलेंगे छरर-छरर
धरा की प्यास बुझेगी ।
हमारी नाव चलेगी ।।