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"बहती नदी में चांद / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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07:19, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
बहती नदी में
खूब झलफलाता है चांद
जैसे चिडिया नहाती है
सुबह की धूप में
और मछलियां
चांदनी में फंसती हैं इस तरह
कि चली आती हैं दूर तक
और लौट नहीं पाती हैं
चांदनी में
नदी नहाते लोग
लगते हैं सोंस से
और
दूर से आती नाव
घडियाल सा मुंह फाडे
आगे बढती जाती है ।
1996