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"नामांकन / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर
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− | सिंधुतट की बालुका पर जब लिखा | + | सिंधुतट की बालुका पर जब लिखा मैंने तुम्हारा नाम |
− | याद है, तुम | + | याद है, तुम हँस पड़ी थीं, 'क्या तमाशा है |
लिख रहे हो इस तरह तन्मय | लिख रहे हो इस तरह तन्मय | ||
कि जैसे लिख रहे होओ शिला पर। | कि जैसे लिख रहे होओ शिला पर। | ||
− | मानती | + | मानती हूँ, यह मधुर अंकन अमरता पा सकेगा। |
वायु की क्या बात? इसको सिंधु भी न मिटा सकेगा।' | वायु की क्या बात? इसको सिंधु भी न मिटा सकेगा।' | ||
− | और | + | और तब से नाम मैंने है लिखा ऐसे |
− | कि, सचमुच, सिंधु की लहरें न उसको | + | कि, सचमुच, सिंधु की लहरें न उसको पाएँगी, |
फूल में सौरभ, तुम्हारा नाम मेरे गीत में है। | फूल में सौरभ, तुम्हारा नाम मेरे गीत में है। | ||
विश्व में यह गीत फैलेगा | विश्व में यह गीत फैलेगा | ||
− | अजन्मी | + | अजन्मी पीढ़ियाँ सुख से |
− | तुम्हारे नाम को | + | तुम्हारे नाम को दुहराएँगी। |
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15:10, 21 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
सिंधुतट की बालुका पर जब लिखा मैंने तुम्हारा नाम
याद है, तुम हँस पड़ी थीं, 'क्या तमाशा है
लिख रहे हो इस तरह तन्मय
कि जैसे लिख रहे होओ शिला पर।
मानती हूँ, यह मधुर अंकन अमरता पा सकेगा।
वायु की क्या बात? इसको सिंधु भी न मिटा सकेगा।'
और तब से नाम मैंने है लिखा ऐसे
कि, सचमुच, सिंधु की लहरें न उसको पाएँगी,
फूल में सौरभ, तुम्हारा नाम मेरे गीत में है।
विश्व में यह गीत फैलेगा
अजन्मी पीढ़ियाँ सुख से
तुम्हारे नाम को दुहराएँगी।