भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नामांकन / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
{{KKAnthologyLove}}
 
{{KKAnthologyLove}}
 
<poem>
 
<poem>
सिंधुतट की बालुका पर जब लिखा मैने तुम्हारा नाम
+
सिंधुतट की बालुका पर जब लिखा मैंने तुम्हारा नाम
याद है, तुम हंस पड़ीं थीं, 'क्या तमाशा है
+
याद है, तुम हँस पड़ी थीं, 'क्या तमाशा है
 
लिख रहे हो इस तरह तन्मय
 
लिख रहे हो इस तरह तन्मय
 
कि जैसे लिख रहे होओ शिला पर।
 
कि जैसे लिख रहे होओ शिला पर।
मानती हूं, यह मधुर अंकन अमरता पा सकेगा।
+
मानती हूँ, यह मधुर अंकन अमरता पा सकेगा।
 
वायु की क्या बात? इसको सिंधु भी न मिटा सकेगा।'
 
वायु की क्या बात? इसको सिंधु भी न मिटा सकेगा।'
  
और तबसे नाम मैने है लिखा ऐसे
+
और तब से नाम मैंने है लिखा ऐसे
कि, सचमुच, सिंधु की लहरें न उसको पाएंगी,
+
कि, सचमुच, सिंधु की लहरें न उसको पाएँगी,
 
फूल में सौरभ, तुम्हारा नाम मेरे गीत में है।
 
फूल में सौरभ, तुम्हारा नाम मेरे गीत में है।
 
विश्व में यह गीत फैलेगा
 
विश्व में यह गीत फैलेगा
अजन्मी पीढ़ियां सुख से  
+
अजन्मी पीढ़ियाँ सुख से  
तुम्हारे नाम को दुहराएंगी।
+
तुम्हारे नाम को दुहराएँगी।
 
</poem>
 
</poem>

15:10, 21 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण

सिंधुतट की बालुका पर जब लिखा मैंने तुम्हारा नाम
याद है, तुम हँस पड़ी थीं, 'क्या तमाशा है
लिख रहे हो इस तरह तन्मय
कि जैसे लिख रहे होओ शिला पर।
मानती हूँ, यह मधुर अंकन अमरता पा सकेगा।
वायु की क्या बात? इसको सिंधु भी न मिटा सकेगा।'

और तब से नाम मैंने है लिखा ऐसे
कि, सचमुच, सिंधु की लहरें न उसको पाएँगी,
फूल में सौरभ, तुम्हारा नाम मेरे गीत में है।
विश्व में यह गीत फैलेगा
अजन्मी पीढ़ियाँ सुख से
तुम्हारे नाम को दुहराएँगी।