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"कीं चितराम / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर
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+ | खाडा कोचरां सूं निसरतौ | ||
+ | चूलड़ी रौ धूंवौ | ||
+ | अर, काठीजियोड़ै टीण री | ||
+ | छजवाळ माथै पड़ियै | ||
+ | रेडियै सूं बाजतौ गीत | ||
+ | ‘इक बंगला बने न्यारा’। | ||
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23:08, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण
कदे कदे
जीवन में आवै
इण भांत रा दिन
जद लागै
के जाणें
राम जी ले रह्या हुवै
सीता माँ री
अगन परीक्षा
बार-बार।
बन में तिरसौ मिरग
पाणी सोधतौ सोधतौ
निढ़ाळ होय
इसौ पड़ै
के फेर बो
कदे नीं सोधै पाणी।
भोरान भोर
मजूरी खातर
निसर्यौ मिनख
सिंज्या ने पूठौ आवै
जूत्यां ने आधी कर’र
अर सोय जावै
पाणी रौ गुटकौ पीर’र
दुजै दिन रो आस पर।
झूंपड़ी में
मांचै पर पड्यौ
ताव सूं बळतौ डील
दवायां ने
अडीकतौ अडीकतौ
छोड़ जावै
ओ नष्वर संसार।
कच्ची बस्ती में
लीरिया पूरिया बांध’र
बणायोड़ौ एक टापरौ
खाडा कोचरां सूं निसरतौ
चूलड़ी रौ धूंवौ
अर, काठीजियोड़ै टीण री
छजवाळ माथै पड़ियै
रेडियै सूं बाजतौ गीत
‘इक बंगला बने न्यारा’।