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'''एक'''  | '''एक'''  | ||
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जबसे तूने मुझे, मैंने तुझे, छोड़ा।  | जबसे तूने मुझे, मैंने तुझे, छोड़ा।  | ||
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गली गली, घर घर, व्यक्ति व्यक्ति ने  | गली गली, घर घर, व्यक्ति व्यक्ति ने  | ||
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बार-बार चर्चों में, तुझे मुझे जोड़ा।।  | बार-बार चर्चों में, तुझे मुझे जोड़ा।।  | ||
'''दो'''  | '''दो'''  | ||
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अपना-अपना मत, अपना-अपना अभियोग  | अपना-अपना मत, अपना-अपना अभियोग  | ||
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कौन किसके जीवन में बोया बबूल।  | कौन किसके जीवन में बोया बबूल।  | ||
| − | |||
बस यहीं सहमत हैं-बच्चा है भूल।।  | बस यहीं सहमत हैं-बच्चा है भूल।।  | ||
'''तीन'''  | '''तीन'''  | ||
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| − | |||
सहसा, अप्रत्याशित, यों ही हुए आत्मस्खलनों को  | सहसा, अप्रत्याशित, यों ही हुए आत्मस्खलनों को  | ||
| − | |||
भले तुम मेरी तुष्ठि कह लो।  | भले तुम मेरी तुष्ठि कह लो।  | ||
| − | |||
मगर, अब मैं मात्र ज़िस्म नहीं, कुछ देर मुझे सह लो।।  | मगर, अब मैं मात्र ज़िस्म नहीं, कुछ देर मुझे सह लो।।  | ||
'''चार'''  | '''चार'''  | ||
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नित्य ही  | नित्य ही  | ||
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तुम्हारी स्मृतियों की लाश से लिपट कर सोना।  | तुम्हारी स्मृतियों की लाश से लिपट कर सोना।  | ||
| − | |||
है मेरा, पवित्र होना।।  | है मेरा, पवित्र होना।।  | ||
'''पांच'''  | '''पांच'''  | ||
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हे देवी मां, आज तुम्हारा व्रत टूट गया, कर दो क्षमा  | हे देवी मां, आज तुम्हारा व्रत टूट गया, कर दो क्षमा  | ||
| − | |||
हो गयी गुस्ताखी।  | हो गयी गुस्ताखी।  | ||
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आज उनके जाने पर, प्याले की बची हुई, पी ली है  | आज उनके जाने पर, प्याले की बची हुई, पी ली है  | ||
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दो बूंद काफी।।  | दो बूंद काफी।।  | ||
'''छः'''  | '''छः'''  | ||
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जाने क्यों आज मैं पहन रही हूं  | जाने क्यों आज मैं पहन रही हूं  | ||
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तुम्हारी पसंद की साड़ी।  | तुम्हारी पसंद की साड़ी।  | ||
| − | |||
इस समय तुम निश्चित ही बना रहे होगे-दाढ़ी।।  | इस समय तुम निश्चित ही बना रहे होगे-दाढ़ी।।  | ||
'''सात'''  | '''सात'''  | ||
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तकिये पर पहले गी खुदी-शुभ रात्रि  | तकिये पर पहले गी खुदी-शुभ रात्रि  | ||
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देती हूं उलट।  | देती हूं उलट।  | ||
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नींद के नाम पर झेलती हूं करवट।।  | नींद के नाम पर झेलती हूं करवट।।  | ||
'''आठ'''  | '''आठ'''  | ||
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सुना है तुम उसे अपने घर ले आने वाले हो  | सुना है तुम उसे अपने घर ले आने वाले हो  | ||
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बुक रैक पर से मेरी हंसती हुई तस्वीर हटा देना  | बुक रैक पर से मेरी हंसती हुई तस्वीर हटा देना  | ||
| − | |||
उसे खलेगा।  | उसे खलेगा।  | ||
| − | |||
मैं, कभी कुछ तुम्हारी नाममात्र की ही थी  | मैं, कभी कुछ तुम्हारी नाममात्र की ही थी  | ||
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सोचकर जी जलेगा।।  | सोचकर जी जलेगा।।  | ||
'''नौ'''  | '''नौ'''  | ||
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रीते हुए ज़ख्मों को कुरेदना और फिर  | रीते हुए ज़ख्मों को कुरेदना और फिर  | ||
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सहलाना।  | सहलाना।  | ||
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कितना जानलेवा है, मुन्ने को नहलाना।।  | कितना जानलेवा है, मुन्ने को नहलाना।।  | ||
'''दस'''  | '''दस'''  | ||
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मैंने तुम्हें कभी पूर्णतया नहीं पाया  | मैंने तुम्हें कभी पूर्णतया नहीं पाया  | ||
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मैं कभी तुमसे नहीं हुई पूरी।  | मैं कभी तुमसे नहीं हुई पूरी।  | ||
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फिर कैसे-मैं तुम बिन अधूरी?    | फिर कैसे-मैं तुम बिन अधूरी?    | ||
'''ग्यारह'''  | '''ग्यारह'''  | ||
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एक लाचारी ही है, जो ढो रही हूं  | एक लाचारी ही है, जो ढो रही हूं  | ||
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तुम्हारे कारण मिला सम्बोधन-श्रीमती।  | तुम्हारे कारण मिला सम्बोधन-श्रीमती।  | ||
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वरन् मैं नहीं सावित्री।।  | वरन् मैं नहीं सावित्री।।  | ||
'''बारह'''  | '''बारह'''  | ||
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जाने क्यों लगता है मेरी यादें  | जाने क्यों लगता है मेरी यादें  | ||
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अब भी उस घर में जड़ी होंगी।  | अब भी उस घर में जड़ी होंगी।  | ||
| − | |||
वादा करके भी तुम नहीं आते थे  | वादा करके भी तुम नहीं आते थे  | ||
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उन फ़िल्मों की टिकटें किसी मेज़ की दराज़ में पड़ी होंगी।।  | उन फ़िल्मों की टिकटें किसी मेज़ की दराज़ में पड़ी होंगी।।  | ||
'''तेरह'''  | '''तेरह'''  | ||
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| − | |||
आफ़िस में प्रमोशन  | आफ़िस में प्रमोशन  | ||
| − | |||
तात्पर्य मैं फ़ाइलों में पूर्णतया डूब गयी।  | तात्पर्य मैं फ़ाइलों में पूर्णतया डूब गयी।  | ||
| − | |||
क्या सचमुच ज़िन्दगी से ऊब गयी।।  | क्या सचमुच ज़िन्दगी से ऊब गयी।।  | ||
'''चौदह'''  | '''चौदह'''  | ||
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| − | |||
मैं तो थी ही तुम्हारे घर की निर्वासित    | मैं तो थी ही तुम्हारे घर की निर्वासित    | ||
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लाज।  | लाज।  | ||
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और अब, मै चूज़ा, जग बाज।।  | और अब, मै चूज़ा, जग बाज।।  | ||
'''पंद्रह'''  | '''पंद्रह'''  | ||
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एक तपती हुई दोपहर।  | एक तपती हुई दोपहर।  | ||
| − | |||
पहले तुम्हारा घर  | पहले तुम्हारा घर  | ||
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अब सारा शहर।।  | अब सारा शहर।।  | ||
'''सोलह'''  | '''सोलह'''  | ||
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हथेलियों पर चुभा-चुभा कर आलपिन।  | हथेलियों पर चुभा-चुभा कर आलपिन।  | ||
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जोड़ती हूं  | जोड़ती हूं  | ||
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उम्र के गुज़रे हुए दिन।।  | उम्र के गुज़रे हुए दिन।।  | ||
'''सत्रह'''  | '''सत्रह'''  | ||
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बिना खेले हारी हुई बाजी का टीसता एहसास।  | बिना खेले हारी हुई बाजी का टीसता एहसास।  | ||
| − | |||
धर देता है सज़ाकर टी टेबल पर  | धर देता है सज़ाकर टी टेबल पर  | ||
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ताश।।  | ताश।।  | ||
'''अठारह'''  | '''अठारह'''  | ||
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| − | |||
आज लाइन चली गयी।  | आज लाइन चली गयी।  | ||
| − | |||
रोशनी से लड़ना नहीं पड़ेगा  | रोशनी से लड़ना नहीं पड़ेगा  | ||
| − | |||
मुन्ना भी खुश है, उसे पढ़ना नहीं पड़ेगा।।  | मुन्ना भी खुश है, उसे पढ़ना नहीं पड़ेगा।।  | ||
'''उन्नीस'''  | '''उन्नीस'''  | ||
| − | |||
| − | |||
कभी शराब में डूबी तुम्हारी काया को  | कभी शराब में डूबी तुम्हारी काया को  | ||
| − | |||
अपने सौन्दर्य की भेंट तपस्या थी।  | अपने सौन्दर्य की भेंट तपस्या थी।  | ||
| − | |||
पत्नी होने का भ्रम पाले मैं एक वेश्या थी।।  | पत्नी होने का भ्रम पाले मैं एक वेश्या थी।।  | ||
'''बीस'''  | '''बीस'''  | ||
| − | |||
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सोचती हूं मुन्ने को किसी दूसरे शहर    | सोचती हूं मुन्ने को किसी दूसरे शहर    | ||
| − | |||
बोर्डिंग स्कूल में भेज दूं    | बोर्डिंग स्कूल में भेज दूं    | ||
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वैसे यह नहीं है उतना आसान।  | वैसे यह नहीं है उतना आसान।  | ||
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यो ऐसा करना ही होगा. वरन उसे देख लोग  | यो ऐसा करना ही होगा. वरन उसे देख लोग  | ||
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लगा लेते हैं कुछ-कुछ  | लगा लेते हैं कुछ-कुछ  | ||
| − | |||
मेरी उम्र का अनुमान।।  | मेरी उम्र का अनुमान।।  | ||
'''इक्कीस'''  | '''इक्कीस'''  | ||
| − | |||
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ऐसा नही कि मैं नहीं समझती  | ऐसा नही कि मैं नहीं समझती  | ||
| − | |||
तुम पुरुषों के आडम्बर।  | तुम पुरुषों के आडम्बर।  | ||
| − | |||
लोग जानबूझकर करते हैं मुझे फ़ोन    | लोग जानबूझकर करते हैं मुझे फ़ोन    | ||
| − | |||
और कहते हैं स्वारी रांग नम्बर।।  | और कहते हैं स्वारी रांग नम्बर।।  | ||
'''बाईस'''  | '''बाईस'''  | ||
| − | |||
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उस घर में भला क्यों न उठे बवण्डर।  | उस घर में भला क्यों न उठे बवण्डर।  | ||
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लोग तो ताड़ लेते हैं अपनी पत्नी की    | लोग तो ताड़ लेते हैं अपनी पत्नी की    | ||
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चूडि़यों तक का नाप।  | चूडि़यों तक का नाप।  | ||
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और तुम्हें, शायद याद नहीं  | और तुम्हें, शायद याद नहीं  | ||
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मेरी ब्रेसियर का नम्बर।।  | मेरी ब्रेसियर का नम्बर।।  | ||
'''तेईस'''  | '''तेईस'''  | ||
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आफ़िस में सभी की घूरती नज़रें  | आफ़िस में सभी की घूरती नज़रें  | ||
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इस बात की हिमायती हैं  | इस बात की हिमायती हैं  | ||
| − | |||
कि मुझमें अब भी है-सेक्स अपील।  | कि मुझमें अब भी है-सेक्स अपील।  | ||
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काश! ये कोई आकर मुंह पर कहता  | काश! ये कोई आकर मुंह पर कहता  | ||
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और मैं डांटती कहकर-अश्लील।।  | और मैं डांटती कहकर-अश्लील।।  | ||
'''चौबीस'''  | '''चौबीस'''  | ||
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| − | |||
बरसते हुए पानी को, खुली खिड़की से  | बरसते हुए पानी को, खुली खिड़की से  | ||
| − | |||
बाहर हाथ निकाल  | बाहर हाथ निकाल  | ||
| − | |||
चूल्लू में रोपना और पानी का अथक  | चूल्लू में रोपना और पानी का अथक  | ||
| − | |||
प्रयास के बाद भी चूना।  | प्रयास के बाद भी चूना।  | ||
| − | |||
काश कि कोई घर में होता जिससे  | काश कि कोई घर में होता जिससे  | ||
| − | |||
मैं लजाकर कहती, प्लीज मुझे मत छूना।।  | मैं लजाकर कहती, प्लीज मुझे मत छूना।।  | ||
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14:53, 22 मार्च 2015 के समय का अवतरण
एक
जबसे तूने मुझे, मैंने तुझे, छोड़ा।
गली गली, घर घर, व्यक्ति व्यक्ति ने
बार-बार चर्चों में, तुझे मुझे जोड़ा।।
दो
अपना-अपना मत, अपना-अपना अभियोग
कौन किसके जीवन में बोया बबूल।
बस यहीं सहमत हैं-बच्चा है भूल।।
तीन
सहसा, अप्रत्याशित, यों ही हुए आत्मस्खलनों को
भले तुम मेरी तुष्ठि कह लो।
मगर, अब मैं मात्र ज़िस्म नहीं, कुछ देर मुझे सह लो।।
चार
नित्य ही
तुम्हारी स्मृतियों की लाश से लिपट कर सोना।
है मेरा, पवित्र होना।।
पांच
हे देवी मां, आज तुम्हारा व्रत टूट गया, कर दो क्षमा
हो गयी गुस्ताखी।
आज उनके जाने पर, प्याले की बची हुई, पी ली है
दो बूंद काफी।।
छः
जाने क्यों आज मैं पहन रही हूं
तुम्हारी पसंद की साड़ी।
इस समय तुम निश्चित ही बना रहे होगे-दाढ़ी।।
सात
तकिये पर पहले गी खुदी-शुभ रात्रि
देती हूं उलट।
नींद के नाम पर झेलती हूं करवट।।
आठ
सुना है तुम उसे अपने घर ले आने वाले हो
बुक रैक पर से मेरी हंसती हुई तस्वीर हटा देना
उसे खलेगा।
मैं, कभी कुछ तुम्हारी नाममात्र की ही थी
सोचकर जी जलेगा।।
नौ
रीते हुए ज़ख्मों को कुरेदना और फिर
सहलाना।
कितना जानलेवा है, मुन्ने को नहलाना।।
दस
मैंने तुम्हें कभी पूर्णतया नहीं पाया
मैं कभी तुमसे नहीं हुई पूरी।
फिर कैसे-मैं तुम बिन अधूरी? 
ग्यारह
एक लाचारी ही है, जो ढो रही हूं
तुम्हारे कारण मिला सम्बोधन-श्रीमती।
वरन् मैं नहीं सावित्री।।
बारह
जाने क्यों लगता है मेरी यादें
अब भी उस घर में जड़ी होंगी।
वादा करके भी तुम नहीं आते थे
उन फ़िल्मों की टिकटें किसी मेज़ की दराज़ में पड़ी होंगी।।
तेरह
आफ़िस में प्रमोशन
तात्पर्य मैं फ़ाइलों में पूर्णतया डूब गयी।
क्या सचमुच ज़िन्दगी से ऊब गयी।।
चौदह
मैं तो थी ही तुम्हारे घर की निर्वासित 
लाज।
और अब, मै चूज़ा, जग बाज।।
पंद्रह
एक तपती हुई दोपहर।
पहले तुम्हारा घर
अब सारा शहर।।
सोलह
हथेलियों पर चुभा-चुभा कर आलपिन।
जोड़ती हूं
उम्र के गुज़रे हुए दिन।।
सत्रह
बिना खेले हारी हुई बाजी का टीसता एहसास।
धर देता है सज़ाकर टी टेबल पर
ताश।।
अठारह
आज लाइन चली गयी।
रोशनी से लड़ना नहीं पड़ेगा
मुन्ना भी खुश है, उसे पढ़ना नहीं पड़ेगा।।
उन्नीस
कभी शराब में डूबी तुम्हारी काया को
अपने सौन्दर्य की भेंट तपस्या थी।
पत्नी होने का भ्रम पाले मैं एक वेश्या थी।।
बीस
सोचती हूं मुन्ने को किसी दूसरे शहर 
बोर्डिंग स्कूल में भेज दूं 
वैसे यह नहीं है उतना आसान।
यो ऐसा करना ही होगा. वरन उसे देख लोग
लगा लेते हैं कुछ-कुछ
मेरी उम्र का अनुमान।।
इक्कीस
ऐसा नही कि मैं नहीं समझती
तुम पुरुषों के आडम्बर।
लोग जानबूझकर करते हैं मुझे फ़ोन 
और कहते हैं स्वारी रांग नम्बर।।
बाईस
उस घर में भला क्यों न उठे बवण्डर।
लोग तो ताड़ लेते हैं अपनी पत्नी की 
चूडि़यों तक का नाप।
और तुम्हें, शायद याद नहीं
मेरी ब्रेसियर का नम्बर।।
तेईस
आफ़िस में सभी की घूरती नज़रें
इस बात की हिमायती हैं
कि मुझमें अब भी है-सेक्स अपील।
काश! ये कोई आकर मुंह पर कहता
और मैं डांटती कहकर-अश्लील।।
चौबीस
बरसते हुए पानी को, खुली खिड़की से
बाहर हाथ निकाल
चूल्लू में रोपना और पानी का अथक
प्रयास के बाद भी चूना।
काश कि कोई घर में होता जिससे
मैं लजाकर कहती, प्लीज मुझे मत छूना।।