Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} राम सुमिर राम सुमिर यही तेरो काज है ॥<br><br> मायाको संग त्य...) |
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राम सुमिर राम सुमिर यही तेरो काज है ॥<br><br> | राम सुमिर राम सुमिर यही तेरो काज है ॥<br><br> | ||
19:33, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
राम सुमिर राम सुमिर यही तेरो काज है ॥
मायाको संग त्याग हरिजू की शरण राग ।
जगत सुख मान मिथ्या झूठो सब साज है ॥ १॥
सपने जो धन पछान काहे पर करत मान ।
बारू की भीत तैसे बसुधा को राज है ॥ २॥
नानक जन कहत बात बिनसि जैहै तेरो दास ।
छिन छिन करि गयो काल तैसे जात आज है ॥ ३॥