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कि कितनों के सपनों ने ली अचानक हिचकी | कि कितनों के सपनों ने ली अचानक हिचकी | ||
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सब कुछ बता सकता है कम्प्यूटर | सब कुछ बता सकता है कम्प्यूटर |
14:48, 20 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
1
गिनो,
जहाँ तक गिन सकते हो
गिनो लाशें,
देखो,
जहाँ तक देख सकते हो
देखो लाशें,
सुनो
जितना सुन सकते हो
सुनो क्रंदन,
गिनने के बाद भी
वहाँ कोने में बची है एक लाश ।
दृश्य के छोर से
थोड़े से ही फासले पर
ढेर सारी मक्खियाँ हैं एक लाश पर
भिनभिनाती हुई ।
क्रंदन के बाद पसरी हुई चुप्पी में
सुन सकते हो तो सुनो
एक घुटी हुई चीख और
एक भयावह हिचकी ।
2
सिर्फ़ कम्प्यूटर ही रख सकता है
सही हिसाब-किताब
कि कितने मरे,
कितने बचे,
कि कितने राख हुए
और कितनों के फेफड़ों में पैठ गया
ज़हरीला धुआँ
सिर्फ़ कम्प्यूटर ही रख सकता है
हिसाब-किताब
कि कितनों की कलाइयों से टूटी चूड़ियाँ,
कि कितनों की कलाइयों से छिटके धागे,
कि कितनों के छूटे बस्ते और बालपोथियाँ,
सिर्फ़ कम्प्यूटर ही रख सकता है
हिसाब-किताब
कि कितनों से दूर हुई लोरियाँ
कि कितनों के चटक गए चटकीले धागे,
कि कितनों के सपनों ने ली अचानक हिचकी
सब कुछ बता सकता है कम्प्यूटर
फ़क़त यह छोड़
कि किसने किया गुनाह
और किसने पाई अनकिए गुनाह की सजा ?