भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गैस-त्रासदी / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=काल को भी नहीं पता / सुधीर सक्सेन...)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
  
 
'''1
 
'''1
 
  
 
गिनो,
 
गिनो,
पंक्ति 17: पंक्ति 16:
 
देखो,
 
देखो,
  
जहाँ त्क देख सकते हो
+
जहाँ तक देख सकते हो
  
 
देखो लाशें,
 
देखो लाशें,
पंक्ति 51: पंक्ति 50:
  
 
'''2
 
'''2
 
  
 
सिर्फ़ कम्प्यूटर ही रख सकता है
 
सिर्फ़ कम्प्यूटर ही रख सकता है
पंक्ति 88: पंक्ति 86:
  
 
कि कितनों के सपनों ने ली अचानक हिचकी
 
कि कितनों के सपनों ने ली अचानक हिचकी
 +
  
 
सब कुछ बता सकता है कम्प्यूटर
 
सब कुछ बता सकता है कम्प्यूटर

14:48, 20 जनवरी 2008 के समय का अवतरण

1

गिनो,

जहाँ तक गिन सकते हो

गिनो लाशें,


देखो,

जहाँ तक देख सकते हो

देखो लाशें,

सुनो

जितना सुन सकते हो

सुनो क्रंदन,


गिनने के बाद भी

वहाँ कोने में बची है एक लाश ।

दृश्य के छोर से

थोड़े से ही फासले पर

ढेर सारी मक्खियाँ हैं एक लाश पर

भिनभिनाती हुई ।


क्रंदन के बाद पसरी हुई चुप्पी में

सुन सकते हो तो सुनो

एक घुटी हुई चीख और

एक भयावह हिचकी ।


2

सिर्फ़ कम्प्यूटर ही रख सकता है

सही हिसाब-किताब

कि कितने मरे,

कितने बचे,

कि कितने राख हुए

और कितनों के फेफड़ों में पैठ गया

ज़हरीला धुआँ


सिर्फ़ कम्प्यूटर ही रख सकता है

हिसाब-किताब

कि कितनों की कलाइयों से टूटी चूड़ियाँ,

कि कितनों की कलाइयों से छिटके धागे,

कि कितनों के छूटे बस्ते और बालपोथियाँ,


सिर्फ़ कम्प्यूटर ही रख सकता है

हिसाब-किताब

कि कितनों से दूर हुई लोरियाँ

कि कितनों के चटक गए चटकीले धागे,

कि कितनों के सपनों ने ली अचानक हिचकी


सब कुछ बता सकता है कम्प्यूटर

फ़क़त यह छोड़

कि किसने किया गुनाह

और किसने पाई अनकिए गुनाह की सजा ?